हरिद्वार, 18 फरवरी। महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और भक्तों को प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। भारत माता पुरम स्थित एकादश रुद्र पीठ आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। जहां अन्य युगो में मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़ी साधना करनी पड़ती थी। वहीं कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से ही व्यक्ति के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। कथा श्रवण के प्रभाव से सोया हुआ ज्ञान और वैराग्य जागृत हो जाता है और व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण तभी सार्थक है। जब हम इसमें निहित ज्ञान को अपनी जीवनशैली में सम्मिलित करें और सत्य के मार्ग पर चलते हुए समाज कल्याण और राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करते हुए सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए तत्पर रहें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में व्यक्ति धन और लालच के चक्कर में सांसारिक मोह माया में फस जाता है और उसे यह ज्ञान नहीं रहता कि ईश्वर की प्राप्ति कैसे करनी है। ऐसे में श्रीमद् भागवत एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो व्यक्ति को भवसागर से पार लगाता है। इस अवसर पर युवराज वर्मा, पंकज भाटी, कविता राज डंडोतिया, आशा देवी, राधेश्याम शर्मा, हरिमोहन शर्मा, सतीश पाराशर, राम लखन शर्मा, संतराम भट्ट, रविंद्र भट्ट, आनंद सिंह तोमर, सुरेंद्र अग्रवाल, जगतगुरु आनंदेश्वर महाराज, सुरेंद्र शर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, प्रदीप कुमार, अनुपमा सिंह डंडोतिया सहित कई श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
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