हरिद्वार, 3 जनवरी। धर्म संसद संयोजक एवं शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा है कि राष्ट्र रक्षा एवं धर्म रक्षा के लिए संत समाज हमेशा आवाज बुलंद करता आया है और आगे भी करता रहेगा। शास्त्रों की शिक्षा एवं धर्म का ज्ञान संत महापुरुषों को सुशोभित करता है। लेकिन आवश्यकता पड़ने पर संतो ने धर्म विरोधियों के खिलाफ शस्त्रों का भी प्रयोग किया है। प्रेस को जारी बयान में स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि जब जब देश में भगवान श्रीराम के ऊपर अनर्गल टिप्पणी की जाती है और प्रभु श्रीकृष्ण के चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं। तब स्वयं को धर्म के ठेकेदार बताने वाले लोग कहां चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब सनातन धर्म पर कुठाराघात होगा। तब संत समाज आगे आकर धर्म की रक्षा करेगा और जो भी धर्म विरोधी कार्य करेगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक शांति एवं समृद्धि शाली देश ह। जिसकी एकता अखंडता को तोड़ने का काम प्राचीन काल से अनेक ताकते करती आई हैं। लेकिन कोई भी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया है। वर्तमान में धर्म विरोधी ताकतें सनातन धर्म के विरुद्ध फिर खड़ी हो गई हैं। जिनको जवाब देना अति आवश्यक है और संत समाज इस कार्य में अग्रणी भूमिका निभाता चला आया है और निभाता चला आएगा। किसी को भी सनातन धर्म पर कुठाराघात करने का अधिकार नहीं है और यदि कोई ऐसा करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। संत महापुरुष अपनी सहनशीलता से समाज को एकजुट करते चले आए हैं, पर कुछ असामाजिक तत्व संतों की सहनशीलता को उनकी कमजोरी समझ रहे हैं। ऐसा करने वाले यह ध्यान दें कि समय आने पर संत समाज आगे आकर हर चुनौती का सामना करने को तैयार है और राष्ट्र की एकता अखंडता को खंडित नहीं होने देगा। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति द्वारा भारत अनादि काल से विश्व का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर विदेशी लोग भी हमारी सभ्यता को अपना रहे हैं। लेकिन कुछ असामाजिक तत्व सनातन धर्म को कमजोर करने पर तुले हैं। ऐसे लोगों की मंशा कभी कामयाब नहीं होगी। जब तक सनातन धर्मावलंबी और संत महापुरुष भारत में है तब तक देश की अखंडता को कोई भी किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
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