हरिद्वार, 21 अप्रैल। महाकुंभ मेले में आखिरी शाही स्नान से पहले अखाड़ा परिषद में विरोध शुरू हो गया है। 27 अप्रैल के शाही स्नान को लेकर निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेन्द्र दास महाराज ने सरकार से सन्यासी अखाड़ों के शाही स्नान करने पर रोक लगाने की माँग की है। श्रींपच निर्मोही अनी अखाड़े में प्रैसवार्ता कर उन्होंने कहा कि सन्यासी अखाड़ों ने कुम्भ मेले से पहले ही मेला विसर्जन कर कर दिया है। ऐसे में अब उनके शाही स्नान करने का कोई औचित्य नही रह जाता। सन्यासी अखाड़े बार बार मेले के समापन को लेकर बयान बदल रहे हैं। इसलिए उनकी सरकार और मेला प्रशासन से मांग है कि सन्यासी अखाड़ों को शाही स्नान करने रोका जाए। 27 अप्रैल के शाही स्नान में केवल बैरागी संतो के तीन अखाड़े, श्री पंचायती अखाडा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल और महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के साधु संत ही शाही स्नान करें। इन अखाड़ों के अलावा जिन अखाड़ों ने कुंभ मेले का विरोध किया है, वह अखाड़े शाही स्नान करने के हकदार नहीं है। इसलिए कुंभ मेला प्रशासन उन्हें शाही स्नान करने से रोके। श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के राष्ट्रीय महासचिव महंत गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि जिन अखाड़ों ने पहले ही कुंभ मेला समाप्ति की घोषणा कर ी है। वह थूककर चाटने की बात क्यों कर रहे हैं। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व आईजी कुंभ मेला संजय गंुज्याल से मांग की कि कुंभ मेला समाप्ति की घोषणा करने वाले अखाड़ों को शाही स्नान नहीं करने दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि 27 अप्रैल के शाही स्नान पर वैष्णव अखाड़े कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करेंगे। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि हरिद्वार में वैष्णव अखाड़ों के जितने भी साधु संत मौजूद हैं, वही शाही स्नान में भाग लेंगे। इसलिए अन्य संत व उनके अनुयायी कुंभ मेले में ना आएं। महामण्डलेश्वर सांवरिया बाबा ने कहा कि कुंभ मेला शास्त्रीय गणना के आधार पर प्रारम्भ और संपन्न होता है। सन्यासी अखाड़ों ने निर्धारित अवधि से पूर्व कुंभ के समापन की घोषणा कर अशास्त्रीय व निंदनीय कृत्य किया है। उन्होंने कहा कि सन्यासी अखाड़ों के महाशिवरात्रि स्नान पर किसी वैष्णव अखाड़े ने कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं किया। इसके बावजूद सन्यासी परंपरांओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महंत रामजीदास महाराज ने कहा कि प्रत्येक कुंभ मेले अंतिम शाही स्नान बैरागी अखाड़ों का होता है। सन्यासी बैरागियों का पीछा करते हुए उनकी परंपरांओं में खलल डालने का प्रयास ना करें। जिससे बिना वजह कोई विवाद उत्पन्न ना हो। गौरतलब है कि आखिरी शाही स्नान से पहले अखाड़ा परिषद में फूट देखी जा रही है। क्योंकि 13 अखाड़ो से मिलकर अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है। निरंजनी व जूना तथा उनके सहयोगी अखाड़ों के कुंभ समापन की घोषणा के बाद अब वैष्णव संप्रदाय के तीनो अखाड़ों ने सन्यासी अखाड़ों के शाही स्नान पर रोक लगाने की मांग की है। इस अवसर पर महंत रामजी दास, महंत रामशरण दास, महंत नरेंद्र दास, महंत महेश दास, नागा महंत सुखदेव मुनि, महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा, श्रीमहंत अशोक दास, श्रीमहंत सुरेश दास, श्रीमहंत देवनाथ दास शास्त्री, महंत रामदास, महंत मोहन दास खाकी, महंत भगवान दास खाकी, महामंडलेश्वर सेवा दास, महामंडलेश्वर साध्वी साधना दास, महंत अमित दास, महंत अरुण दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत सूरज दास, महंत जनार्दन दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।
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