Dharm

शांति, प्रेम और एकता की मिसाल थे गुरू गोविन्द सिंह-महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री

विक्की सैनी

हरिद्वार, 21 जनवरी। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह साहब का प्रकाश उत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कनखल स्थित अखाड़े में शब्द कीर्तन एवं अखंड पाठ का आयोजन किया गया। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह शांति प्रेम और एकता की मिसाल थे। जिन्होंने समूचे राष्ट्र के उत्थान के लिए संघर्ष के साथ-साथ निर्माण का रास्ता अपनाया। इतिहास में गुरु गोविंद सिंह एक विलक्षण क्रांतिकारी संत व्यक्तित्व हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह केवल आदर्शवादी ही नहीं थे। बल्कि वे देश आध्यात्मिक गुरु थे। जिन्होंने संपूर्ण मानवता को शांति प्रेम समानता एवं समृद्धि का रास्ता दिखाया। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह महाराज ने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर समाज को नई दिशा प्रदान की। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे। वहीं वह एक महान लेखक मौलिक चिंतक भी थे। वह भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। जिन्होंने सदा समाज को प्रेम एकता एवं भाईचारे का संदेश दिया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है। महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह महाराज ने देश की अस्मिता, भारतीय विरासत और जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए समाज को नए सिरे से तैयार करके खालसा पंथ के सृजन का मार्ग अपनाया। खालसा के माध्यम से उन्होंने राजनीतिक एवं सामाजिक विचारों को आकार दिया। यदि आज भारत में संस्कार और धर्म स्थापित है तो उसका महत्वपूर्ण श्रेय गुरु गोविंद सिंह महाराज को जाता है। सभी को उनके आदर्शो को अपनाकर राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए और मानव सेवा के लिए सदैव समर्पित रहना चाहिए । इस अवसर पर महंत खेम सिंह, महंत बाबू सिंह, महंत रंजय सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत सुखमण सिंह, संत शशीकांत सिंह, संत निर्भय सिंह, संत विष्णु सिंह, संत रोहित सिंह आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *