हरिद्वार, 17 मई। संत आसारामजी बापू आश्रम में साध्वी रेखा बहन तथा साध्वी सुशीला बहन के सानिध्य में आयोजित सात दिवसीय श्री आशारामायण साधना सप्ताह शिविर के दूसरे दिन ध्यान, योगासन, प्राणायाम आदि का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साध्वी सुशीला बहन व साध्वी रेखा बहन ने कहा कि जहां जहां भक्त और भगवान के प्रेमी एकत्र होते हैं। वही संतों का प्राकट्य होता है। साधारण जीव का जन्म तो कर्मबंधन से, वासना के वेग से होता है। परन्तु भगवान या संत महापुरुषों का वास्तव में मनुष्य रुप में धरती पर प्रकट होना, जन्म लेना नहीं बल्कि अवतरित होना है। लोक मांगल्य के लिए, किसी विशेष उद्देश्य को पुरा करने के लिए अथवा लाखों लोगों द्वारा करुण पुकार लगाई जाने पर संत अवतरित होते हैं। संत आशाराम बापू ऐसे ही करुणा की मूर्ति संत हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री आश्रामायण के पाठ, आशाराम बापू की स्तुति वंदना, आरती, सामूहिक संध्या तथा हरि नाम के कीर्तन से हुआ। हरिद्वार आश्रम बाल संस्कार केंद्र तथा महिला उत्थान मंडल की बहनों द्वारा सुंदर गुरुभक्ति पर आधारित नृत्य तथा भजन का प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यक्रम में आश्रम के सेवादार अशोक गर्ग, रमेश भाई रेडी, लकीभाई, गिरधारी भाई, अजय भाई दादू, सुशील, मनोज जखमोला, गीतांजलि जखमोला सहित देश भर से आए संत व श्रद्धालु उपस्थित रहे।
