हरिद्वार, 3 सितंबर। भूपतवाला स्थित माता वैष्णो शक्ति भवन के अध्यक्ष महंत दुर्गा दास महाराज ने अपने शिष्य महंत सुमित दास महाराज को संत आचरण के विरुद्ध कार्य करने पर महंताई पद से मुक्त कर दिया है। प्रेस को जारी बयान में महंत दुर्गादास महाराज ने बताया कि महंत सुमित दास महाराज को उन्होंने कुछ समय पूर्व आश्रम का महंत नियुक्त किया था। लेकिन वैष्णव परंपरा का निर्वहन नहीं करने पर और संत मर्यादा का उल्लंघन करने के चलते उन्होंने महंत सुमित दास महाराज को महंताई पद से मुक्त कर आश्रम से निष्कासित कर दिया है। अब उनका माता वैष्णो शक्ति भवन से कोई भी वास्ता नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि संतों का कार्य समाज का मार्गदर्शन कर ज्ञान की प्रेरणा देना होता है। परंतु महंत सुमित दास महाराज काफी समय से संत परंपरा का उल्लंघन कर रहे थे और आश्रम की छवि को धूमिल कर रहे थे। जिस कारण उन्हें महंत पद से हटा दिया गया है और आश्रम से भी निष्कासित कर दिया गया है। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि वैष्णव अखाड़ों की परंपराएं विश्व विख्यात हैं और महंत पद पर आसीन होने के बाद संत की अपनी एक मर्यादा होती है। जिस का उल्लंघन यदि वह करता है तो महंत पद पर उसे रहने का कोई अधिकार नहीं है। महंत दुर्गा दास महाराज बरसों से वैष्णव अखाड़ों की परंपराओं का निर्वहन करते हुए समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उनके शिष्य महंत सुमित दास महाराज उनकी कसौटी पर खरे नहीं उतरे। इसलिए उन्हें महंत पद से हटाकर आश्रम से उनका निष्कासन कर दिया गया है। भविष्य में उनका कोई भी वास्ता माता वैष्णो शक्ति भवन और महंत दुर्गा दास महाराज से नहीं रहेगा। महंत प्रह्लाद दास महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है। संत महापुरूष अनादि काल से राष्ट्र के उत्थान में अपनी सहभागिता निभाते चले आ रहे हैं। महंत दुर्गादास महाराज ने जो निर्णय लिया है। वह उचित है और समस्त वैष्णव समाज महंत दुर्गादास महाराज का समर्थन करता है।
