हरिद्वार, 3 अप्रैल। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के सचिव महंत गोविंद दास महाराज ने कहा है कि हमारी संस्कृति में देवी को ऊर्जा का स्रोत माना गया है और अपने भीतर की उर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रायोजन है। बैरागी कैंप स्थित निर्मोही अखाड़े में नवरात्र पर्व के दूसरे दिन देवी उपासना का महत्व समझाते हुए महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक शारीरिक और अध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। इन सबके मूल में है मनुष्य का प्रकृति से तालमेल। जो जीवन को नई सार्थकता प्रदान करता है। मां की महिमा अपरंपार है। शक्ति की पराकाष्ठा मां भगवती संपूर्ण नवरात्र अपने भक्तों पर कृपा बरसा कर उन्हें सुख समृद्धि प्रदान करती है और संपूर्ण सृष्टि में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने के लिए हमें व्रतों का संयम नियम बहुत लाभ पहुंचाता है। इसलिए श्रद्धा पूर्वक मां की उपासना करते हुए व्रत का नियम भी करना चाहिए। महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि नवरात्रि के दौरान सभी को कन्या पूजन के साथ साथ बालिकाओं के संरक्षण का संकल्प भी लेना चाहिए और समाज को बालक बालिका के बीच का मतभेद भुला कर सभी को समान रुप से सम्मान प्रदान करने के लिए जागरूक करना चाहिए। साक्षरता के अभाव में आज भी कुछ परिवार बालक बालिकाओं के प्रति मतभेद करते हैं। जोकि सरासर गलत है। कन्या रूपी बालिकाएं ही देश को उन्नति की ओर अग्रसर करने में अहम भूमिका निभाती है। एक मां और बहन पत्नी आदि के रूप में समाज में समानता आती है। अकेला पुरुष कभी प्रधान नहीं हो सकता। व्यक्ति को मां के रूप में सर्वप्रथम गुरु की प्राप्ति होती है और एक मां ही सही रूप से अपने बेटा बेटी का संरक्षण कर सकती है। इसलिए सभी को जागरूक रहकर बालक बालिकाओं के प्रति समान दृष्टि कोण अपनाना चाहिए। इस दौरान महंत रामदास, महंत अमित दास, महंत सिंटू दास, महंत अगस्त दास उपस्थित रहे।
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