हरिद्वार, 31 जनवरी। राजमाता आशा भारती महाराज ने कहा कि वरदायिनी सिद्धपीठ नागेश्वर महादेव गद्दी पर श्रद्धापूर्वक की गयी आराधना को स्वीकार कर भगवान शिव श्रद्धालु भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भूपतवाला स्थित निराला धाम आश्रम में आयोजित 33वें 41 दिवसीय विराट शिव शक्ति महायज्ञ तथा ब्रह्मलीन ब्रह्मऋषि स्वामी कृष्णानन्द महाराज एवं ब्रह्मलीन माता सुशीला देवी महाराज की पुण्यतिथी पर आयोजित संत सम्मेलन में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए राजमाता आशा भारती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन निराला स्वामी लहरी बाबा दिव्य संत थे। उनके द्वारा शुरू किए गए 41 दिवसीय शिव शक्ति महायज्ञ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का कल्याण अवश्य होता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन गुरूदेव स्वामी कृष्णानन्द महाराज एवं गुरूमाता सुशीला देवी महाराज महान विभूति थे। उनके द्वारा शुरू किए गए सेवा प्रकल्पों के माध्यम से निरंतर समाज के कमजोर वर्गो तथा संत महापुरूषों की सेवा की जा रही है। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ही भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। ब्रह्मलीन निराला स्वामी लहरी बाबा एवं ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानन्द महाराज व ब्रह्मलीन सुशीला देवी महाराज त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके द्वारा स्थापित निराला धाम धर्मनगरी में सेवा संस्कृति का प्रमुख केंद्र हैं। महंत प्रह्लाद दास महाराज व महंत रामानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन निराला स्वामी लहरी बाबा एवं ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानन्द महाराज व ब्रह्मलीन सुशीला देवी महाराज ने सदैव सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में अहम योगदान किया। उनके द्वारा शुरू की गयी सेवा परम्परा को राजमाता आशा भारती महाराज निरंतर आगे बढ़ा रही है। संत समाज का पूर्ण सहयोग उनके साथ है। स्वामी नित्यानन्द, स्वामी शिवानन्द व महंत सूरजदास ने कहा कि ब्रह्मलीन निराला स्वामी लहरी बाबा एवं ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानन्द महाराज व ब्रह्मलीन सुशीला देवी महाराज तपस्वी एवं संतत्व के धनी महापुरूष थे। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। राजमाता आशा भारती के शिष्य स्वामी नित्यानन्द ने बताया कि आश्रम में स्थापित की गयी ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानन्द महाराज व ब्रह्मलीन सुशीला देवी महाराज की प्रतिमा सभी को सेवा की प्रेरणा देती रहेगी। इस अवसर पर स्वामी ज्ञानानन्द, स्वामी दिनेशदास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत मोहन सिंह, पदम प्रसाद सुवेदी, सुदर्शन शर्मा आदि संत महापुरूष एवं श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
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