हरिद्वार, 30 दिसम्बर। कर्नाटक सरकार द्वारा हिंदू मठ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाने हेतु कानून बनाए जाने की घोषणा करने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कर्नाटक सरकार का आभार व्यक्त किया है। प्रैस को जारी बयान में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा बुधवार को कहा गया कि दूसरे समुदाय के लोगों के पूजा स्थल विभिन्न कानूनों से सुरक्षित है और वह इसका पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन हमारे हिंदू मंदिरों पर कई तरह के नियंत्रण है और वह सरकारी नियम कानूनों से बंधे हुए हैं। हिंदू मंदिरों को इस तरह के नियंत्रण एवं कानूनों से मुक्त किया जाना चाहिए। जिसका अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दिल से स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार के बजट सत्र से पहले यह कानून लागू होना चाहिए। जिससे सरकार के अधिग्रहण वाले मठ मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो सकें। उन्होंने कहा कि साथ ही केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों को ऐसा कानून बनाना चाहिए। जिससे उनके द्वारा धिगण किए गए मठ मंदिर व हिंदू धर्म स्थल सरकारी नियंत्रण से मुक्त हांे। क्योंकि हिंदू धर्म स्थलों का धन उनके विकास एवं जीर्णोद्धार और शिक्षा चिकित्सा आदि में खर्च हो और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में उसका प्रयोग हो। ऐसी सभी संत कामना करते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि केंद्र सरकार को मठ मंदिर मुक्ति हेतु कड़ा कानून बनाना चाहिए जो सभी राज्य में सख्ती से लागू हो। जिससे हिंदू धर्म स्थलों के धन का दुरुपयोग ना हो और उनके रखरखाव और संचालन की व्यवस्था और बेहतर हो सके। क्योंकि धर्म स्थलों का संचालन धर्मावलंबी ही ठीक प्रकार से कर सकते हैं और अनादि काल से ऐसे ही परंपरा चली आ रही है। सरकार को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए और धर्म स्थलों की बेहतर व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महंत जसविंदर सिंह एवं युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत शिवानंद महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और संत महापुरुष अनादि काल से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर धर्म की रक्षा एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित रहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म स्थानों की सुरक्षा हेतु सरकार को केंद्रीय कानून बनाकर देश के सभी राज्यों में उसे लागू करना चाहिए। वर्तमान में हिंदू धर्म स्थलों पर कई राज्य सरकारों का अधिग्रहण है और उनसे प्राप्त होने वाले आय का हिंदू धर्म से अलग किसी अन्य कार्य पर खर्च नहीं होना चाहिए। लेकिन कई राज्य सरकारों द्वारा हिंदू मठ मंदिरों के चढ़ावे पर नजर गड़ा कर उनको अधिग्रहण किया जा रहा है और उनका पैसा अन्य व्यवस्थाओं में खर्च किया जा रहा है, जोकि सरासर गलत है। अखिल भारतीय संत समिति के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष एवं कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि संत समिति के आंदोलन के बाद सरकारें अधिगृहित हिंदू मठ मंदिरों को मुक्त करने के प्रति जागरूक हुई हैं। उत्तराखण्ड सरकार के देवस्थानम् बोर्ड को वापस लेने के बाद अब कनार्टक सरकार भी अधिग्रहित मठ मंदिरों को मुक्त करने के लिए कानून बनाने जा रही है। जोकि स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि सत्य सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। जो विश्व का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। सरकारों को धर्म की रक्षा करते हुए मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करना चाहिए ताकि उनका बेहतर रखरखाव संत एवं धर्मावलंबी कर सके और देश हित में उनसे चलने वाले सेवा के प्रकल्प संचालित किए जा सकें।
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