हरिद्वार, 11 अक्टूबर। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा है कि संत परंपरा संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है और महापुरुषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित स्वतः मुनि उदासीन आश्रम चैरिटेबल ट्रस्ट में ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज की छत्तीसवीं बरसी पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए स्वामी हरि चेतनानंद महाराज ने कहा कि राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में संत महापुरुषों की अहम भूमिका है। ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज समाज के प्रेरणा स्रोत थे। जिन्होंने सनातन धर्म और संत परंपरा का पालन करते हुए समाज को मानवता का संदेश दिया उनका जीवन एवं धर्म संदेश आज भी प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है। आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने कार्यक्रम में पधारे संत महापुरूषों का स्वागत करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज दिव्य विभूति थे। गंगा को स्वच्छ निर्मल बनाए रखने तथा धर्म के प्रति समाज को जागरूक करने में उन्होंने हमेशा अहम योगदान किया। उनकी शिक्षाएं व दिव्य विचार आज भी समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। ब्रह्मलीन स्वामी स्वतःप्रकाश महाराज के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए संत महापुरूषों के आशीर्वाद से वे सनातन धर्म के उत्थान व समाज के निर्बल वर्ग की सेवा में योगदान कर रहे हैं। महामण्डलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले ब्रह्मलीन स्वामी स्वतःप्रकाश महाराज महान संत थे। उनके द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों में वृद्धि करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि निरंतर गरीब, असहायों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी को ब्रह्मलीन स्वामी स्वतःप्रकाश महाराज के जीवन व विचारों से प्रेरणा लेकर समाज सेवा का संकल्प लेना चाहिए। महामण्डलेश्वर स्वामी जगदीश दास महाराज ने कहा कि त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन स्वामी स्वतःप्रकाश महाराज पूरा जीवन प्रेरणादायी रहा है। भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर सन्मार्ग पर अग्रसर करना ही उनके जीवन का ध्येय था। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार तथा राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का नीलमणि पाठक ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया और मुख्य यजमान जिंदल परिवार एवं मदन गोपाल जिंदल ने शॉल ओढ़ाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर महाण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज, स्वामी कमलदास, स्वामी जगदीशानन्द गिरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सूरज दास, महंत प्रेमानंद, स्वामी शिवानंद महंत दिनेश दास, महंत सूरज दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत शिवानंद, मखन लाल, सतपाल, विशाल, गोरा लाल सुरेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे।
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