विक्की सैनी
हरिद्वार। बहादराबाद क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें हरे-भरे आम के वृक्षों की अवैध कटाई कर कृषि भूमि को कॉलोनी में बदलने का कथित खेल खुलकर सामने आया है। यह पूरा प्रकरण न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि हरिद्वार की पर्यावरणीय संवेदनशीलता के लिहाज से बेहद चिंताजनक भी है।
19 आम के वृक्षों की अवैध कटाई, बाग मालिक पर आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 08 जुलाई 2025 से 16 जुलाई 2025 के बीच, बहादराबाद बाईपास राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित महाडी मंदिर के पास के आम बाग में लगभग 19 हरे-भरे आम के वृक्षों को काट दिया गया। स्थानीय लोगों और विभागीय स्रोतों ने आरोप लगाया है कि इस अवैध कार्य को बाग स्वामी नीरज कुमार पुत्र कर्मवीर तथा उसके ठेकेदारों द्वारा अंजाम दिया गया। वृक्षों की कटाई बिना अनुमति किए जाने से उत्तर प्रदेश ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में वृक्षों का संरक्षण अधिनियम, 1976 का खुला उल्लंघन हुआ है, जो कि उत्तराखंड में भी यथावत लागू है।
पर्यावरणीय नुकसान: जैव-विविधता से लेकर वायु गुणवत्ता तक पर प्रभाव
काटे गए आम के पेड़ न केवल स्थानीय जैव-विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा थे, बल्कि आसपास के क्षेत्र के तापमान, वायु गुणवत्ता और छायादार वातावरण को संतुलित रखने में भी अहम भूमिका निभाते थे। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पेड़ों की कटाई के बाद क्षेत्र में गर्मी का असर बढ़ा है और प्राकृतिक सौंदर्य भी काफी प्रभावित हुआ है।
कृषि भूमि को कॉलोनी में बदलने की शुरूआत—बिना किसी स्वीकृति के भूखंड बेचने का आरोप
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि जिस भूमि में यह अवैध कटान हुआ, वह राजस्व अभिलेखों में कृषि भूमि (Agricultural Land) के रूप में दर्ज है। इसके बावजूद, भूमि को कॉलोनी में बदलने तथा प्लॉट बेचने का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि यह सब बिना किसी वैधानिक अनुमति, बिना लैंड यूज़ कन्वर्ज़न, बिना पर्यावरणीय स्वीकृति और बिना विकास प्राधिकरण की अनुमति के किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में तेजी से बढ़ते कॉलोनीकरण के पीछे कुछ स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत होने की भी आशंका है, जिससे अवैध निर्माण और भूमि परिवर्तन का यह खेल अनियंत्रित रूप से बढ़ रहा है।
उद्यान विभाग ने दी दो शिकायतें, FIR के बावजूद नहीं हुई ठोस कार्रवाई
इस पूरे मामले में उद्यान विभाग ने 09 जुलाई 2025 एवं 17 जुलाई 2025 को थाना बहादराबाद में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।
इसके बाद FIR संख्या 0295/2025, दिनांक 19 जुलाई 2025 दर्ज हुई।
परंतु—
✔ न तो अवैध वृक्ष कटाई रोकी जा सकी,
✔ न ही स्थल निरीक्षण की कोई प्रभावी कार्रवाई हुई,
✔ और न ही कॉलोनी निर्माण को रोकने के लिए कोई कदम उठाया गया।
यह प्रशासनिक लापरवाही भी सवालों के घेरे में है।
प्रशासनिक उदासीनता ने बढ़ाई चिंता—स्थानीय लोग भी परेशान
स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगल और बगीचों की अंधाधुंध कटाई से बहादराबाद क्षेत्र में पर्यावरण तेजी से बिगड़ रहा है। इसके बावजूद प्रशासनिक विभागों द्वारा कार्रवाई न करना गंभीर संदेह पैदा करता है।
शिकायतकर्ता की मांगें—कड़ी कार्रवाई और पर्यावरणीय क्षति की भरपाई
शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी और संबंधित विभागों से निम्न मांगें की हैं
स्थल का पर्यावरणीय निरीक्षण कर अवैध कटाई व भूमि उपयोग परिवर्तन की जांच कराई जाए।
कॉलोनी निर्माण पर तुरंत रोक लगाई जाए और भूमि को पुनः कृषि/बागवानी उपयोग में सुरक्षित किया जाए।
बाग स्वामी, ठेकेदार एवं शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
पर्यावरणीय क्षति की भरपाई हेतु दोषियों से फाइन/मुआवजा वसूला जाए और उतनी ही संख्या में नए वृक्षों का रोपण कराया जाए।
निष्कर्ष
बहादराबाद का यह मामला केवल पेड़ काटने या अवैध कॉलोनी बनाने का मामला नहीं है—यह हरिद्वार की पर्यावरणीय सुरक्षा, प्रशासनिक जवाबदेही और कानून के पालहैन पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कब और कैसी कार्रवाई करता है।





