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संत समाज ने किया गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज को नमन

महान पुण्यात्मा थे गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज-स्वामी अयोध्याचार्य

हरिद्वार, 19 दिसम्बर। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों का जीवन सदैव मानव कल्याण के लिए समर्पित होता है। पुराना रानीपुर मोड़ स्थित श्री कृष्णा आश्रम में आयोजित 9वें गुरू स्मृति समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि महान पुण्यात्मा गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज ने समाज को ज्ञान की प्रेरणा कर धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। समाज कल्याण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
आश्रम के परमाध्यक्ष महंत बिहारी शरण महाराज ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। संत समाज के सहयोग से पूज्य गुरूदेव द्वारा शुरू की गयी सेवा परंपरा को आगे बढ़ाते हुए समाज के गरीब, जरूरतमंदों की सेवा में आश्रम की और से निरंतर योगदान किया जा रहा है।
महंत प्रेमदास महाराज व महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज महान संत एवं समाज के प्रेरणा स्रोत थे। उनसे प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके शिष्य महंत बिहारी शरण महाराज समाज कल्याण में योगदान कर रहे हैं।
बाबा हठयोगी व श्रीमहंत विष्णुदास ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंत काल तक सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहती हैं। गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज ने जीवन पर्यंत वैष्णव परंपराओं का निर्वहन करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान किया।
महंत अंकित शरण महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज का अतुल्य योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उनकी शिक्षाओं का अनुकरण करते हुए राष्ट्र व समाज की सेवा का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
महंत गोविंददास महाराज ने कहा कि गोलोकवासी महंत हेमकान्त शरण महाराज विलक्षण संत थे। शारीरिक रूप से वे भले ही मौजूद नहीं है। लेकिन आत्मीय रूप से सभी को उनका मार्गदर्शन सदैव मिलता रहेगा।
इस अवसर पर महंत गोविंद दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास, महंत हरिदास माला धारी, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत प्रेमदास, महंत राजेंद्र दास, दिगंबर आशुतोष पुरी, महंत खेम सिंह सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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