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मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है-स्वामी निगमबोध तीर्थ

हरिद्वार, 25 मई। महामंडलेश्वर स्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा है कि मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है और गरीब असहय की सहायता करने से जन्म जन्मांतर के पुण्य का उदय होता है। भूपतवाला स्थित निगम कुटीर वेद मंदिर आश्रम में अन्न क्षेत्र प्रारंभ किया गया। जिसमें प्रतिदिन हजारों लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई। इस अवसर पर श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामथ्र्य अनुसार गरीब और निराश्रित लोगों की सहायता करनी चाहिए। मिलजुल कर ही समाज में रह रहे निराश्रितों सेवा की जा सकती है और गरीब असहाय लोगों की सेवा करने से ईश्वर भी प्रसन्न होते हैं। क्योंकि मानव सेवा ही ईश्वर पूजा के समान है और सनातन धर्म में भी सेवा को सर्वोपरि माना गया है। सुदामा के एक बार पुकारने पर भगवान श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़े चले आए थे और एक सच्ची मित्रता की मिसाल पेश की थी। जो आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का केंद्र है। संत समाज अपने सेवा प्रकल्पों के माध्यम से हमेशा ही समाज कल्याण में अपनी सहभागिता निभाता चला आ रहा है। कोरोना काल में भी संत समाज ने बढ़ चढ़कर लोगों की सहायता की और किसी को भी भूखा नहीं रहने दिया। भारत जैसे विशालकाय आबादी वाले देश में कोरोना काल पर कोई भी व्यक्ति राशन अथवा भोजन की कमी को महसूस नहीं कर पाया। यह राष्ट्र की एकता और अखंडता को दर्शाता है। सभी को आगे आकर एक सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिए अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए।

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