हरिद्वार, 18 मई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के शिष्य महंत संजयदास महाराज ने प्रैस बयान जारी करते हुए कहा कि जो शिष्य अपने गुरू का अनादर करता है। उसे भगवान भी कभी माफ नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि 17 साल तक गुरूजी बहुत अच्छे थे। अब अचानक गुरू जी में कई तरह की कमियां शिष्य द्वारा निकाली जा रही हैं। स्वामी आनन्द गिरी महाराज शिष्य कहलाने के योग्य भी नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज मधुरभाषी, मिलनसार व सहयोगी संत हैं। हमेशा ही उनका सहयोग युवा संतों के मार्गदर्शन में मिलता है। स्वामी आनन्द गिरी को ऊंचाईयों पर ले जाने का काम उनके गुरू श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने किया है। गुरू की कृपा से ही देश विदेश में आनन्द गिरी महाराज घूमे। लेकिन जब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तो इस तरह के विपरीत आचरण शिष्य द्वारा किए जाते हैं। आदि अनादि काल से गुरू शिष्य परंपराएं भारत में चली आ रही हैं। लेकिन स्वामी आनन्द गिरी महाराज द्वारा अपने गुरू अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समुद्र पहाड़ जैसे विराट व्यक्त्तिव वाले गुरू श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज का जीवन दर्शन देश दुनिया जानती है। उनके शिष्य द्वारा इस तरह के आरोप लगाया जाना नैतिकता की सारी हदें पार कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति स्वामी आनन्द गिरी महाराज पर हावी है। संत समाज परिवारों से किसी भी प्रकार का कोई मतलब नहीं रखता है। लेकिन स्वामी आनन्द गिरी महाराज अपनी गलतियों को छिपाने के उद्देश्य से ही गुरू श्रीमहंत नरेद्र गिरी महाराज की छवि को धूमिल करने का नाकाम प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी वक्त है कि वे समय रहते हुए अपनी भूल सुधार कर लें तो गुरू उन्हें माफ भी कर सकते हैं।
