हरिद्वार, 18 सितम्बर। श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन द्वारा लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हैदराबाद स्थित श्री उदासी मठ की करीब 540 एकड़ जमीन का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट से जीत लिया है। जमीन की वर्तमान बाजार में कीमत करीब 15000 करोड़ की मानी जा रही है। जिसको अखाड़े ने गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन से लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद जीतने में सफलता हासिल की है। हरिद्वार में कनखल स्थित बड़े अखाड़े के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने बताया कि आंध्र प्रदेश में सदियों पहले श्री कमलापति बाबा जी द्वारा श्री उदासी मठ की स्थापना की गई थी। श्री उदासी मठ की कूकटपल्ली, हैदराबाद में करीब 540.30 एकड़ जमीन है। जो तेलंगाना राज्य के बंदोबस्ती पुस्तक में पंजीकृत है। वर्तमान में मठ का प्रबंधन श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा के महंत रघुमुनि जी द्वारा नियुक्त अरुण दास महाराज द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 1964-69 के दौरान तत्कालीन महंत बाबा सेवादास जी द्वारा करीब 400 एकड़ भूमि को समाज के कार्यों के लिए आइडीएल को 99 साल की लीज पर दी थी, 1976 में 137.19 एकड़ जमीन को 99 साल के लिए आईडीएल को और दी थी। 2007 में महंत रघुमुनि जी द्वारा जब लीज की समीक्षा की गई तो पाया कि लीज रेंट बहुत कम था। 2007 में मार्केट लीज रेंट के हिसाब से करीब 156 करोड रुपए प्रतिवर्ष मिलना चाहिए था। लेकिन कुल 56000 हजार रूपए प्रतिवर्ष प्राप्त हो रहा था। इसके अलावा आइडीएल ने कई पट्टटो को लीज शर्तों का उल्लंघन करते हुए भूमि को कब्रगाह में परिवर्तित कर दिया था। जमीनों को बैंकों में गिरवी रख कर विज्ञापन देकर अपने को जमीन का मालिक बताया जा रहा था। बाद में आईडीएल के स्थान पर एक गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन कंपनी मठ और बंदोबस्ती विभाग की अनुमति के बिना पाटेदार होने का दावा करने लगी। मठ द्वारा उक्त कंपनी को कानूनी नोटिस भेजकर भूमि खाली करने के लिए कहा गया। कंपनी ने भूमि खाली करने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद बंदोबस्ती अधिनियम के तहत बंदोबस्ती न्यायाधिकरण में एक वाद दायर किया गया। एंडोमेंटस ट्रिब्यूनल ने गल्फ ऑयल कॉर्पोरेशन को अतिक्रमण कारी घोषित कर दिया और मठ के सभी आधारों को स्वीकार करते हुए कंपनी को बेदखली का आदेश जारी किया। जिसके बाद उक्त कंपनी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में 2011 में अपील दायर की। जिसको 2013 में हाई कोर्ट द्वारा भी खारिज कर दिया गया। जिसके बाद उक्त कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां पर भी 13 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की अपील को खारिज करते हुए जमीन का मालिकाना हक मठ को दे दिया है। अब श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महंत रघुमुनि जी के तत्वधान में मठ को भूमि पर कब्जा दिलाने के कदम उठाए जा रहे हैं।
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