हरिद्वार, 19 जनवरी। आचार्य बेला इंडिया टेंपल में 11 बटुक ब्राह्मणों का उपनयन संस्कार किया गया और उन्हें धर्म एवं राष्ट्र रक्षा के लिए संत समाज द्वारा प्रण दिलाया गया। इस अवसर पर स्वामी दिव्यांश वेदांती महाराज ने कहा कि हिंदू धर्म संस्कारों में उपनयन संस्कार दशम संस्कार है। मनुष्य जीवन के लिए यह संस्कार विशेष महत्वपूर्ण है। इस संस्कार के अनंर्गत ही बालक के जीवन में भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है और यज्ञोपवीत धारण करने के पश्चात उसे गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है। उन्होंने कहा कि सत्य सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। जोकि शाश्वत है। वर्तमान समय में अति आवश्यक है कि हर परिवार धार्मिक संस्कारों को महत्व देते हुए अपने बच्चों में अच्छे संस्कारों को धारण करें। जिससे बच्चे संस्कारवान बनकर अपने दायित्वों का निर्वाह समय अनुसार करते रहे और धर्मानुसार आचरण कर सद्बुद्धि नीति मर्यादा और सही गलत का ज्ञान प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि आज के युग में पाश्चात्य संस्कृति बहुत तेजी से भारतीय सभ्यता पर हावी हो रही है। जिस कारण धीरे धीरे धर्म की हानि हो रही है और गुरुकुल पद्धति समाप्त हो रही है। संत समाज को इसे बचाए रखने के लिए आगे आना होगा और समाज को प्रेरणा देनी होगी कि अपने घर परिवार और बच्चों में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म को जागरूक कर उन्हें धर्म सम्मत बनाएं। ताकि वह अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करते हुए कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकें। उन्होंने कहा कि सभी को अपने धर्म और संस्कृति का बोध होना अति आवश्यक है। जब तक हमें अपने धर्म और संस्कृति का पूर्ण रूप से बोध नहीं होगा। हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही रूप से नहीं कर सकते और यह तब ही संभव है कि हम किसी भी क्षेत्र में कार्यरत रहकर गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण करें। क्योंकि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है। जो अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। कार्यक्रम के मुख्य यजमान अवधेश सिंह भदोरिया एवं राजन पांडे ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर ऋषभ पांडे, अमन पांडे, शुभम, मनीष, राहुल, मोहित, पंडित सुरेंद्र तिवारी, पंडित अभय तिवारी, पंडित बृज किशोरानंद सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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