हरिद्वार, 22 सितंबर। श्री तुलसी मानस मंदिर के परमाध्यद्वा एवं श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरी महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्री महंत नरेंद्र गिरी महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज का आकस्मिक निधन संपूर्ण संत समाज एवं प्रत्येक वर्ग के लिए अपूरणीय क्षति है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज गो गंगा गायत्री के प्रबल समर्थक थे। जिन्होंने संपूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे महापुरुष के आकस्मिक निधन पर एक युग का अंत हुआ है। स्वामी अर्जुन पुरी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज एक कुशल नेतृत्व के धनी संत थे। जिन्होंने प्रत्येक कुंभ मेले में 13 अखाड़ों के बीच समन्वय स्थापित कर सभी कुंभ मेलों को सकुशल संपन्न कराया। समाज कल्याण में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। श्री चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष महंत स्वामी ऋषिस्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज एक महान संत थे। उन्होंने सदैव युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया और विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज को सेवा का संदेश दिया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। युवा पीढ़ी को उनके अनुकरणीय जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज एवं बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया और समय-समय पर धर्म से जुड़े मुद्दों को समाज के समक्ष उठाया। उन्होंने फर्जी संतों पर कार्यवाही कर समाज को धर्म के प्रति भी जागृत किया ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव स्मरण करता रहेगा।