हरिद्वार, 24 जुलाई। श्री साधु गरीबदासीय सेवा आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर्व पर ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर डा.स्वामी श्यामसुंदर दास शास्त्री महाराज का स्मृति दिवस मनाया गया। इस दौरान युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा अध्यात्मिक प्रज्ञा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का सोपान है। भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा प्रेम का एक अद्भुत संगम है। जिसमें गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा माना गया है। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी डा.श्याम सुंदर शास्त्री महाराज एक युगपुरुष थे। जिन्होंने सदा भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया। राष्ट्र निर्माण में उनके अतुल्य योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे महापुरुष का शिष्य होना मेरे लिए गौरव की बात है। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण आज्ञाकारिता एवं अनुशासन शिष्य का सबसे महत्वपूर्ण गुण है। भारतीय इतिहास में गुरु की भूमिका समाज सुधारक एवं मार्गदर्शक के रूप में दर्शाई गई है। जो आज भी प्रचलित है। गुरु समाज का मार्गदर्शन कर ना केवल अपने शिष्य बल्कि समस्त मानव जाति का उद्धार करते हैं। गुरु और शिष्य के बीच केवल शाब्दिक ज्ञान का आदान-प्रदान ही नहीं होता। बल्कि गुरु अपने शिष्य के संरक्षक के रूप में भी कार्य करता है। यही विश्वास गुरु के प्रति शिष्य की अगाध श्रद्धा और समर्पण का कारण रहा है। इस दौरान स्वामी दिनेश दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनी, महंत श्रवण मुनि, महंत निर्मल दास आदि उपस्थित रहे।
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