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दिव्य महापुरूष थे ब्रह्मलीन स्वामी सुखदेव मुनि-श्रीमहंत रघुमुनि

विक्की सैनी

हरिद्वार, 27 जुलाई। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा है कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। शिव स्वरूप संत ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सुखदेव मुनि महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने सदैव समाज को एकजुट कर राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने का संदेश दिया। कृष्णा नगर स्थित श्री हरेराम आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी सुखदेव मुनि महाराज की तैंतीसवीं पुण्य तिथी पर भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनके उपदेश समाज को प्रेरणा देकर राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करते हैं। ब्रह्मलीन स्वामी सुखदेव मुनि महाराज एक महान संत थे। राष्ट्र कल्याण में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्री हरेराम आश्रम के परमाध्यक्ष म.म.स्वामी कपिलमुनि महाराज ने कहा कि संतों के सानिध्य में व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। जिससे वह स्वयं को सबल बनाकर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी सुखदेव मुनि महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आश्रम के द्वारा अनेकों सेवा प्रकल्प चलाकर समाज की सेवा की जा रही है। युवा संतों को उनके बताए मार्ग पर चलकर राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए और समाज की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सुखदेव मुनि महाराज समाज के प्ररेणास्रोत थे। जिन्होंने सदैव सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित किया और विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति के नए आयाम स्थापित किए। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का स्वामी केशव मुनि व स्वामी रामसागर मुनि महाराज ने फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान म.म.स्वामी भगवतस्वरूप, स्वामी वेदानन्द, स्वामी दिव्यानन्द, महंत विष्णुदास, महंत स्वामी सुतीक्ष्ण मुनि, महंत कौेशल पुरी, महंत प्रेमदास, स्वामी उमेश मुनि, स्वामी शिवानन्द, साध्वी प्रभा मुनि, महंत दामोदर दास, महंत निर्मल दास, महंत जयेंद्र मुनि आदि उपस्थित रहे।

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