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अवैध शराब बिक्री की नीति के चाणक्य कांस्टेबल साहब का आबकारी विभाग में दबदबा

हरिद्वार: चाहे जिला आबकारी अधिकारी पद पर कोई भी आसीन हो या फिर आबकारी निरीक्षक कोई हो पर जिले में ठसक हनक एक आबकारी कांस्टेबल की बरकरार है। पूरे जिले को लंबी मूंछों वाला यह आबकारी कांस्टेबल ही कंट्रोल करता है। इस कांस्टेबल की कई खूबियां है, जिसके चलते ही यह आला अफसरान को अपने रिमोट से चलाता है।

झबरेड़ा जहरीली शराब कांड के बाद भी कांस्टेबल जिले में तैनात है, ऐसे में उसके रसूख का अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है । विभाग के मुखिया पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे है पर कुंभनगरी में आबकारी कांस्टेबल मदिरा की गंगा बहाकर वारे न्यारे करने पर उतारू है।

हरिद्वार में आबकारी विभाग में कुछ भी ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। नकली शराब बनाने का भंडाफोड़ होने के बाद भले ही जिला आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक पर गाज गिरी हो लेकिन उसका असल रणनीतिकार एक कांस्टेबल है।

उसी की ही साठ गांठ से नकली शराब का धंधा फल फूल रहा था। बताते हैं कि पिछले 15 वर्ष से कांस्टेबल जिले में ही जमा है ,जिसे शराब ठेकेदारों से लेकर शराब माफियाओं की हर नब्ज का अच्छे से इल्म है,उसी हुनर की बदौलत वह पूरे सिस्टम को लीड कर रहा है। कांस्टेबल की चर्चा देहरादून तक में है लेकिन आला अफसर धृतराष्ट्र बने हुए हैं।

कुछ वर्ष पूर्व झबरेड़ा में जहरीली शराब कांड से कई जान जाने के बाद हटाया गया कांस्टेबल चंद माह बाद जिले में एंट्री लेने में कामयाब रहा। यही नहीं फूलगढ़ शिवगढ़ शराब कांड में भी गाज हरिद्वार सर्किल पर ना गिराकर लक्सर सर्किल पर गिराई गई थी। इस सेटिंग में भी इसी चर्चित कांस्टेबल का मुख्य रोल रहा था।

सवाल यह है कि आखिर कांस्टेबल की लगातार तैनाती की वजह साफ हो जबकि कई कर्मचारी पहाड़ से सालों साल से नीचे नहीं उतर पा रहे है। सूत्रों की माने तो कुंभ नगरी में बिक रही अवैध शराब के सिंडिकेट का भी यही कांस्टेबल अहम हिस्सा है ,जिसके उसकी रोज के हिसाब से चलते बल्ले बल्ले होती है।

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