हरिद्वार। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि श्राद्ध पक्ष व्यावहारिक रूप से किसी भी हिंदू परिवार का अपने मृत पूर्वजों और माता-पिता के प्रति अपनी भावनाओं और दिल से उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पवित्र अनुष्ठान है। संसार में दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों पापों से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध पक्ष से बढ़कर अन्य कोई उपाय नहीं है। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को श्राद्ध पक्ष का महत्व बताते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि पितृ पक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो व्यक्ति सामर्थ्य अनुसार शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है उसके सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। घर, परिवार, व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है और जीवन सदैव खुशहाल रहता है। इसलिए प्रतिवर्ष पितृपक्ष में सभी को अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण अवश्य करना चाहिए। पितरों के लिए समर्पित श्राद्ध पक्ष व्यक्ति को सहस्र गुना पुण्य फल प्रदान करता है। श्राद्ध पक्ष के समय पितृगण पृथ्वी पर विराजमान होते हैं जिस कारण श्राद्ध पक्ष की महत्ता और बढ़ जाती है। हिंदू धर्म में यह एक पवित्र अनुष्ठान है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मशांति और मुक्ति के लिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। श्राद्ध पक्ष में विधान अनुसार पितरों का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करना चाहिए। इससे प्रसन्न होकर पितृगण श्राद्धकरता को आशीर्वाद प्रदान कर उसके जीवन की दशा और दिशा बदल देते हैं। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने बताया कि पितृ अमावस्या पर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज के तत्वाधान में माँ गंगा के निमित्त कोरोना काल में मृतक व्यक्तियों की आत्मशांति के लिए हवन पूजन कर विधान अनुसार श्राद्ध तर्पण किया जाएगा। इसके बाद ब्राह्मण भोजन के पश्चात संत महात्माओं को वस्त्र, बैग और राशन किट वितरित की जाएगी।
