हरिद्वार, 10 सितम्बर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर संत समाज ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए एक दिव्य महापुरुष बताया। प्रेस को जारी बयान में निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी प्रेरणा सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहती है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज का जीवन निर्मल जल के समान था। संत समाज के इतिहास में उनका नाम सदैव अमर रहेगा। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज एक महान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद पर विराजमान रहते हुए सभी 13 अखाड़ों को एकता के सूत्र में पिरोया और नासिक उज्जैन सहित इलाहाबाद के कुंभ मेले को सकुशल संपन्न कराया। राष्ट्र निर्माण में उनकी अहम भागीदारी संत समाज को सदैव स्मरण रहेगी। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन सदैव त्याग एवं तपस्या के लिए समर्पित रहता है और ब्रह्मलीन श्रीमहंत गिरी महाराज तो साक्षात सहजता की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन धर्म एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित किया। युवा संतो को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। बाघंबरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव के जीवन से प्रेरणा लेते हुए संतों की सेवा करना और राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में अपना सहयोग प्रदान करना ही उनके जीवन का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरुदेव का जीवन सदैव प्रासंगिक रहेगा। ऐसे अवतारी महापुरुष समाज को विरले ही प्राप्त होते हैं। स्वामी हरिचेतनानंद, सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, बाबा बलराम दास हठयोगी, महंत दुर्गादास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत विनोद महाराज, महंत रघुवीर दास, महंत विष्णुदास, महंत बिहारी शरण, महंत सूरज दास, महंत प्रेमदास आदि संतों ने भी ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
