हरिद्वार, 17 अक्टूबर। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा द्वारा निकाली जाने वाली प्राचीन पवित्र छड़ी नगर भ्रमण के दौरान रविवार को श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंची। छड़ी के श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंचने पर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने पूरे विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्वागत किया। संत महापुरूषों ने श्री दक्षिण काली घाट पर गंगा पूजन कर विश्व कल्याण की कामना भी की। इस दौरान आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की वैदिक परंपरांए अनादि काल से पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर रही हैं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े द्वारा निकाली जाने वाली पवित्र छड़ी यात्रा के माध्यम से आम जनमानस व युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति व परंपरांओं को जानने का अवसर मिलता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि विदेशी शक्तियां उत्तरांखड की फिजा को बिगाड़ने का प्रयास कर रही हैं। लोग उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों को मिलकर प्रयास करने चाहिए। संत समाज भी इसमें सहयोग करने के लिए तैयार है। निंरजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में संत महापुरूषों ने हमेशा ही आगे बढ़कर योगदान किया है। देवभूमि उत्तराखण्ड में देश विदेश से श्रद्धालु चारधाम के दर्शनों के लिए आते हैं। देवभूमि की पहचान पौराणिक सिद्ध पीठ मदिरों से ही जानी जाती है। मां गंगा के आचमन मात्र से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि देवभूमि की मान मर्यादाओं को संरक्षित करने के लिए संत महापुरूष निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि दशनामी पवित्र छड़ी यात्रा प्राचीन काल से चली आ रही है। यात्रा का उददे्श्य तीर्थो का विकास तथा युवाओं को अपनी संस्कृति व सनातन परंपरांओं का ज्ञान कराना है। देश दुनिया में उत्तराखण्ड देवताओं की भूमि के रूप में पहचाना जाता है। ऋषि मुनियों की तपस्थली देवभूमि की धार्मिकता से लोग प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ, केदारनाथ धाम के दर्शन मात्र से ही भक्तों का कल्याण होता है। पवित्र छड़ी पूजन से राज्य की खुशहाली व कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। इस दौरान जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज, जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती, श्रीमहत नारायण गिरी, महंत देवानंद सरस्वती, महंत साधनानंद, श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि, श्रीमहंत केदारपुरी, थानापति राजगिरि, श्रीमहंत पुष्कर गिरि, श्रीमहंत दीनदयाल गिरि ,महंत उत्तम गिरि, श्रीमहंत पशुपति गिरि, थानापति राजेन्द्र गिरि, महाकाल गिरि, धर्मेन्द्र पुरी, हीरा भारती, कुमारानंद अमृतपुरी, महंत रणधीर गिरि आदि मौजूद रहे। स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बैण्ड बाजों के साथ सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।
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