हरिद्वार, 10 अक्टूबर। श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। उक्त उद्गार महामंडलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने भूपतवाला स्थित स्वतः मुनि उदासीन आश्रम चैरिटेबल ट्रस्ट में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज की छत्तीसवीं बरसी के उपलक्ष में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की बैतरणी है जो व्यक्ति के मन से उसकी मृत्यु का भय मिटाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। ब्रह्मलीन स्वतः प्रकाश महाराज एक महान संत थे। जिनके मार्ग का अनुसरण कर संत परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है। स्वामी हरिहरानंद एवं स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि संत महापुरुष समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही व्यक्ति के मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं और जो श्रद्धालु भक्त संपूर्ण श्रीमद् भागवत कथा का श्रद्धा पूर्वक श्रवण कर लेता है। उसके तन के साथ साथ मन का भी शुद्धीकरण हो जाता है। क्योंकि श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण करता है। कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार होता है और वह सत्कर्म के माध्यम से स्वयं को सबल बनाता है। प्रत्येक व्यक्ति को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए और साथ ही अपने बच्चों को संस्कारवान बनाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित करना चाहिए। नीलमणि पाठक ने बताया कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः प्रकाश महाराज की छत्तीसवीं बरसी सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों के सानिध्य में मनाई जाएगी। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का नीलमणि पाठक ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया और मुख्य यजमान जिंदल परिवार एवं मदन गोपाल जिंदल ने शॉल ओढ़ाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर महंत दिनेश दास, महंत सूरज दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत शिवानंद, मखन लाल, सतपाल, विशाल, गोरा लाल सुरेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे।
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