अनुकूलतम उपयोग एवं आदतों में परिवर्तन से जल संरक्षण सम्भव : डॉ बत्रा
विश्व जल दिवस पर की विचारगोष्ठी आयोजित
हरिद्वार 22 मार्च, 2022। एस.एम.जे.एन.पी.जी. काॅलेज में आज विश्व जल दिवस पर पेयजल के संरक्षण विषय पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें काॅलेज के प्राध्यापक साथियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने विश्व जल दिवस की बधाई देते हुए कहा कि विश्व में पेयजल संसाधन बहुत ही सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। इन संसाधनों का उपयोग सुनियोजित ढंग से किया जाना चाहिए। जल संरक्षण का आह्वान करते हुए डाॅ. बत्रा ने कहा कि पृथ्वी पर जल की मात्रा दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है और विश्व के कई शहरों में भूमिगत जल संसाधन समाप्ति की ओर है। उन्होंने बताया कि इस बात की आशंका की जा रही है कि 2025 तक लगभग एक-तिहाई देशों में रहने वाली विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या पेयजल के गम्भीर संकट से जूझती हुई नजर आयेगी। जल अमूल्य संसाधन है जिसके बिना जीवमण्डल का अस्तित्व एवं पर्यावरण की अनेक क्रियायें सम्भव नहीं है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि जल का संचय का जल के अनुकूलतम उपयोग से आदतों में परिवर्तन के साथ किया जा सकता है जिसमें वर्षा जल के संचय द्वारा, तालाबों की जलधारण क्षमता में वृद्धि, अनुकूलतम जल संसाधन उपयोग हेतु जागरुकता, जल स्त्रोतों के समीप ट्यूबवेल आदि के निर्माण पर रोक, जलोपचार आदि मुख्य हैं।
डाॅ. बत्रा ने बताया कि एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज में जल संरक्षण के दृष्टिगत 23 मार्च व 24 मार्च, 2022 को उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), देहरादून के सहयोग से जल संरक्षण एवं नदियों के पुनर्जीवित विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, कार्यशाला का उद्घाटन 23 मार्च, 2022 को प्रातः 10ः00 बजे अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अध्यक्ष माँ मंशा देवी मन्दिर ट्रस्ट व अध्यक्ष काॅलेज प्रबन्ध समिति, श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज द्वारा किया जायेगा तथा मुख्य अतिथि के रुप में मैती आन्दोलन के प्रणेता पदम् श्री डॉ कल्याण सिंह रावत, प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ बी डी जोशी,वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा भी उपस्थित रहेंगे।
छात्र कल्याण अध्ष्ठिाता डाॅ. संजय माहेश्वरी ने कहा कि अगर जल का सही संचय नहीं किया गया तो सृष्टि विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि वर्तमान में जल प्राप्ति की समस्या किसी एक क्षेत्र विशेष में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में है.
डाॅ. सरस्वती पाठक ने कहा कि जल ही जीवन है क्योंकि बगैर जल के जीवन की कल्पना सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि जल मानव जीवन के लिए बहुउपयोगी है, जल की महत्त्ता के कारण मनुष्य इसे सहेजकर रखने हेतु बांधों, झीलों, तालाबों एवं इसी प्रकार के विविध प्रयास करता है।
पर्यावरण विज्ञान के शिक्षक डाॅ. विजय शर्मा ने कहा कि बढ़ती जनंसख्या तथा अनियोजित शहरीकरण ने कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है जिसमें एक प्रमुख समस्या जल संकट भी है। डाॅ. शर्मा ने कहा कि नदियों को पुर्नजीवित करने के लिए उनकी सहायक नदियों और झरनों को बचाना होगा।
इस अवसर पर मुख्य रुप से डाॅ. नलिनी जैन, डाॅ. पदमावती तनेजा, विनीत सक्सेना, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. लता शर्मा, कु. अन्तिम त्यागी, पूजा, योगेश्वरी, डाॅ. विनीता चैहान, डाॅ. पुनीता शर्मा, प्रिंस श्रोत्रिय, अंकित अग्रवाल, दीपिका आनन्द, प्रियंका प्रजापति, दिव्यांश शर्मा, आदि ने जंल संरक्षण करने का आह्वान एवं अपने विचार वयक्त किये.





