Haridwar

प्रशासन की लचर कार्यशैली से गुस्साए बैरागी संतों ने दी कुंभ मेले के बहिष्कार की चेतावनी

विक्की सैनी/राकेश वालिया

बैरागी संतों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा-श्रीमहंत राजेंद्रदास

बैरागी अखाड़ों के लिए आरिक्षत करायी जाएगी बैरागी कैंप की भूमि-श्रीमहंत नरेंद्र गिरी

हरिद्वार, 30 अगस्त। प्रशासन द्वारा बैरागी कैंप स्थित तीनों वैष्णव अखाड़ों के निर्माण हटाए जाने के नोटिस से बैरागी संतों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। बैरागी संतों ने सरकारी सुविधाएं लेने का बहिष्कार करते हुए सरकार से 1 करोड़ रूपए भी न लेने की बात कही। श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि सरकार वैष्णव संतों के साथ दोगला व्यवहार कर रही है। एक तरफ सरकार बैरागी अखाड़ों के लिए स्थायी निर्माण की बात कर रही है। दूसरी और बैरागी अखाड़ों के मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो कुंभ के शाही स्नान व संपूर्ण कुंभ मेले का भी बहिष्कार किया जाएगा। श्रीमहंत राजेन्द्रदास महाराज ने कहा कि अनादि काल से कुंभ मेले के दौरान बैरागी कैंप क्षेत्र में ही वैष्णव संतों के शिविर स्थापित होते रहे हैं। बैरागी अणियों ने हमेशा ही कुंभ को सफल बनाने में सहयोग किया है। परंतु कुछ वर्षो से राजनीतिक लाभ के लिए यहां अवैध रूप से घनी आबादी को बसा दिया गया है। बैरागियों के अस्तित्व को खत्म करने की साजिश की जा रही है। प्रशासन और सरकार बैरागी संतों की संख्या को कम आंक कर उनका उत्पीड़न करने की कोशिश ना करे। वरना बैरागी संत कठोर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री व प्रशासन के साथ कुंभ मेले को लेकर आयोजित आगामी मीटिंग में तीनों बैरागी अखाड़ों के संत हिस्सा नहीं लेंगे। धर्म व परम्परा के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बैरागी संतों के प्रति अखाड़ा परिषद की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी और कहा कि पांच सौ वर्ष पुरानी छड़ी पंरपरा दोबारा शुरू हो सकती है। परंतु वर्षो से बैरागी संतों की किसी भी प्रकार की सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है।

श्रीपंच निर्वाणी अणी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला कार्य को लेकर लगातार शासन प्रशासन बैरागी संतों की उपेक्षा कर रहा है। जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार द्वारा दी जाने वाली एक करोड़ की धनराशि तीनों बैरागी अखाड़े स्वीकार नहीं करेंगे। प्रशासन की कार्यशैली व सुविधाओं का तीनों अखाड़े संयुक्त रूप से बहिष्कार करते हैं। सरकार एक ओर जहां कुंभ के सफल आयोजन की बात करती हैं। वहीं दूसरी ओर बैरागी संतों की लगातार उपेक्षा व अपमान किया जा रहा है। जिसे अब वैष्णव संप्रदाय बर्दाश्त नहीं करेगा।

अखाड़ा परिषद के महामंत्री पर लगाया आरोप

श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव महंत रामशरणदास महाराज ने आरोप लगाते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद के महामंत्री लगातार बैरागी संतों का अस्तित्व मिटाने में लगे हुए हैं। बैरागी कैंप में अधिकतर स्थायी निर्माण जूना अखाड़े के संतों द्वारा किए गए हैं। वह बताएं कि उनके पास जमीन से जुड़े वैध दस्तावेज कौन सी सरकार ने दिए। यदि जूना अखाड़े के स्थायी निर्माण आश्रमों के रूप में हो सकते हैं तो बैरागी अखाड़ों के साथ दुव्र्यवहार क्यों किया जा रहा है। महंत रामशरण दास महाराज ने कहा कि अखाड़ा परिषद के महामंत्री पद के लिए जल्द ही सभी अखाड़ों की मीटिंग बुलाकर दोबारा चुनाव कराया जाएगा। महामंत्री द्वारा बैेरागी अखाड़ों के साथ सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

श्रीपंच दिगम्बर अणी अखाड़े के महंत किशनदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप की भूमि को तीनो वैष्णव अखाड़ों के लिए आरक्षित किया जाए। साथ ही स्थायी निर्माण कर बैरागियों को उचित सुविधा सरकार प्रदान करे। अन्यथा बैरागी अखाड़े कठोर निर्णय लेने को मजबूर होंगे। इस अवसर पर महंत मोहनदास, महंत रामजीदास, महंत सुखदेव दास, महंत अगस्त दास, महंत सिंटू दास आदि उपस्थित रहे।

क्या कहते हैं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बयान जारी करते हुए कहा कि बैरागी संतों को धैर्य रखना चाहिए। अखाड़ा परिषद बैरागी कैंप क्षेत्र को बैरागी अखाड़ों के लिए आरक्षित कराने के लिए संकल्पबद्ध है और मुख्यमंत्री से हुई वार्ता में भी उन्होंने इस मुद्दे को रखा था और हर हाल में बैरागी कैंप क्षेत्र की भूमि वैष्णव अखाड़ों के लिए आरक्षित करायी जाएगी। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी बैरागी संत को कुंभ मेले के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े। उन्होंने कहा कि सभी बैेरागी संत महापुरूष हमारे लिए पूज्यनीय हैं। महाकुंभ मेले में सभी का ध्यान रखते हुए उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी और बैरागी कैंप की भूमि बैरागी संतों की है और यह भूमि शीघ्र मुख्यमंत्री से वार्ता करके बैरागी संतों के लिए आरक्षित करायी जाएगी।

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