Haridwar Uttarakhand

ज्ञानी पुरूष को ही योगेश्वर श्रीकृष्ण की पहचान होती है-महंत प्रेमदास

विक्की सैनी

हरिद्वार, 11 अगस्त। नीलगिरी पर्वत स्थित नीलेश्वर महादेव मंदिर में महंत प्रेमदास महाराज के सानिध्य में 40 दिन से निरंतर चल रहा भगवान शिव का रूद्राभिषेक अनुष्ठान कृष्ण जन्माष्टमी पर संपन्न हुआ। अनुष्ठान के समापन पर मुख्य यजमान सुनील गर्ग, गौरव शर्मा, धीरज कुमार, दीपक शर्मा ने मंदिर के परमाध्यक्ष महंत प्रेमदास से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मंदिर के परमाध्यक्ष महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण एक राजनीतिक, अध्यात्मिक, और योद्धा होने के साथ ही हर तरह की विधाओं में पारंगत थे। भगवान श्रीकृष्ण स धर्म का एक नया रूप और संघ शुरू होता है। मात्र ज्ञानी पुरूष को ही योगेश्वर श्रीकृष्ण की पहचान होती है। जिन्हें आत्मज्ञान हुआ हो। भगवान श्रीकृष्ण भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। जिनकी दिव्य वाणी से देवता ही नहीं बल्कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड के जीव जुतु भी मंत्रमुग्ध हो जात थे। श्रीकृष्ण के उपदेशों को आत्मसात करते हुए हमें अपने जीवन में सत्य को अपनाकर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। क्योंकि एक ईमानदार सत्यनिष्ठ व्यक्ति ही सुखी जीवन व्यतीत करने का पथ प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं अत्यन्त चमत्कारी थी। जिन्हें देख स्वयं देवता भी अचंभित होते थे। श्रीकृष्ण द्वारा प्रेरित प्रर्दान का उद्देश्य विश्वास योग्य श्रोताओं के हृदय को शुद्ध करना है। इसलिए श्रीकृष्ण का एक महान प्रर्वतक माना जाता है। उन्होंन कहा कि हिंदू धर्म में कृष्ण भक्ति परंपरा में आस्था का प्रयोग किसी भी देवता तक सीमित नहीं है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को हमारे धार्मिक उत्सवों का हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। क्योंकि भगवान इस धरा के कण-कण और प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विराजमान हैं। स्वयंभू महादेव भगवान नीलेश्वर की कृपा मात्र से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

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