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सरकारों को मठ मंदिर अधिग्रहण करने के बजाए उनके बेहतर सुविधाओं की ओर ध्यान देना चाहिए : स्वामी संतोषानंद सरस्वती


हरिद्वार, 12 नवम्बर। मठ मंदिर मुक्ति आंदोलन को लेकर दिल्ली के कालका मंदिर में आयोजित होने वाले संत सम्मेलन को समर्थन देते हुए भूपतवाला स्थित एकादश रूद्र पीठ आश्रम के अध्यक्ष राजगुरु महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि धार्मिक संस्थाओं का संचालन धर्मगुरु एवं धर्माचार्य ही सही रूप से कर सकते हैं। सरकारों को मठ मंदिर अधिग्रहण करने के बजाए उनके बेहतर सुविधाओं की ओर ध्यान देना चाहिए। प्रेस को जारी बयान में स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जिस प्रकार समाजसेवी का काम समाजसेवा करना है, राजा का काम राज करना है उसी प्रकार मठ मंदिर का संचालन एवं धार्मिक क्रियाकलापों को धर्माचार्य एवं धर्म गुरु ठीक प्रकार से कर सकते हैं, सरकार को मठ मंदिरों की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए ना कि उन्हें अधिकरण कर अपने हाथ में ले लेना। उन्होंने कहा कि देश के अंदर हजारों की संख्या में मठ मंदिर खस्ताहाल हालत में है जिनकी ओर सरकार का ध्यान कतई नहीं जाता। उन्होंने चेताया कि यदि दिल्ली कालका मंदिर का अधिग्रहण वापस नहीं लिया गया तो संत समाज पूरे देश में आंदोलन करेंगे और सरकारों के खिलाफ बिगुल फूंकेंगा। उन्होंने कहा कि धर्म का प्रचार प्रसार एवं समाज सेवा संतों का प्राथमिक उद्देश्य है और जब भी देश पर कोई विपत्ति आती है तो संत समाज सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहता है फिर भी मात्र हिंदू धर्म पर ही कुठाराघात क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों का अधिग्रहण कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुरुषार्थ आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि सरकार संतो की शालीनता एवं सहनशक्ति का परिचय ना ले धर्म पर कुठाराघात संत समाज नहीं सहेगा। सरकार स्वयं तो सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रही है तो मठ मंदिरों का संचालन किस प्रकार करेगी। धर्मगुरु एवं धर्माचार्य ही धर्म के प्रचार प्रसार में एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में प्राचीन काल से अपनी भूमिका निभाते चले आ रहे हैं और आगे भी निभाते रहेंगे। मठ मंदिर एवं आश्रमों के मामले में सरकार को कोई भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए अन्यथा संत समाज उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।

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