विक्की सैनी
हरिद्वार, 30 अगस्त। ब्रह्मलीन त्रिपिटकाचार्य स्वामी कूटस्थानंद महाराज की अस्थियां भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम लायी गयी। जहां से उन्हें हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुण्ड में विसर्जित किया गया। साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वामी कूटस्थानंद महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार को समर्पित किया। और संपूर्ण विश्व में भ्रमण कर सनातन धर्म को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र कल्याण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि महापुरूषों का जीवन सदैव परमार्थ को समर्पित होता है और ब्रहमलीन स्वामी कूटस्थानंद महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर समाज को उन्नति की ओर अग्रसर किया। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में समर्पित रहना चाहिए। और सनातन धर्म को बुलंदियों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाना चाहिए। म.म.स्वामी भगवतस्वरूप महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन कूटस्थानंद महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने गंगा तट से अनेकों सेवा प्रकल्प प्रारम्भ कर समाज की सेवा की। उन्हीं के बताए मार्ग का अनुसरण कर संत समाज राष्ट्र के उत्थान में अपना अहम योगदान समर्पित करता आ रहा है। स्वामी प्रकाश मुनि महाराज ने कहा कि संतों के उपदेश सदैव प्रेरणादायी होते हैं। और उनका आदर्श जीवन ही भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा प्रदान करता है। स्वामी कूटस्थानंद महाराज समाज के प्रेरणासा्रेत थे। जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान महंत चंद्रमादास, महंत बलराम मुनि, सुनील कुमार, जीतू भाई, गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णुदत्त पुनेठा, गीता बतरा, सुभाष शर्मा, किशन शर्मा, राजकुमार भारद्वाज, नारायण कौशिक, सोमदत्त वशिष्ठ, दिनेश पांचाल, सुनील वशिष्ठ आदि उपस्थित रहे।