हरिद्वार, 4 अगस्त। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना सर्वोत्तम मानी जाती है। जो श्रद्धालु भक्तों का बेड़ा पार लगाती है। श्रावण में भगवान की शिव की पूजा करने से त्वरित शुभ फल की प्राप्ति होती है और श्रद्धालु भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान आशुतोष पूर्ण करते हैं। नीलधारा तट स्थित श्रीदक्षिण काली मंदिर में भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से आए अनेक प्रजाति के फूलों द्वारा भगवान शिव का भव्य श्रृंगार कर विश्व कल्याण की कामना के लिए आरती की गई। श्रद्धालु भक्तों को शिव आराधना का महत्व बताते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को यदि संपूर्ण शिव परिवार की कृपा का पात्र बनना है। तो शिव आराधना के लिए श्रावण से बढ़कर और कोई अवसर नहीं है। श्रावण में की गई शिव की पूजा से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है। यह मनोकामनाओं का इच्छित फल प्रदान करने वाला है और उसकी महत्वता गंगा तट पर और अधिक बढ़ जाती है। श्रावण मास आशाओं की पूर्ति का समय होता है। जो हमें सर्वस्व प्रदान करता है। भगवान शिव की आराधना से पुत्र हीन पुत्रवान निर्धन धनवान होते हैं। दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, बिल्वपत्र, दुर्वा, आग, धतूरा, चमेली, कनेर और केसर आदि से भगवान शिव का अभिषेक करने से सुख और वैभव की प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है। शिवलिंग पर इत्र चढ़ाने से विचार और मन पवित्र होते हैं और व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। इसलिए प्रत्येक साधक को शिव की आराधना स्वच्छ मन से करनी चाहिए। ताकि उसका जीवन मां गंगा के जल की भांति पवित्र हो और वह चिरायु जीवन प्राप्त करें। इस दौरान स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी रघुवीरानन्द, आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, स्वामी अनुरागी महाराज, पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
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