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02 अप्रैल को फहराई जायेगी श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की धर्मध्वजा

विक्की सैनी

अखाड़ों की पेषवाई मार्ग को जल्द दुरूस्त करे प्रषासन-श्रीमहंत दुर्गादास

हरिद्वार 28 अक्टूबर। कुंभ मेला प्रभारी व श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने कहा है कि कुंभ मेला प्रषासन लक्सर रोड मार्ग को जल्द से जल्द दुरूस्त करे। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की फेरूपुर शाखा में संतों की बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही अखाड़े के भ्रमणषील जमात के संत लक्सर मार्ग से होते हुए अखाडों की शाखाओं में प्रवेष करते है। कुंभ मेले के दौरान संत अपना पड़ाव महतौली, बादषाहपुर, शाहपुर एवं फेरूपुर में डालते हैं। जिसके बाद भूपतवाला, दूधाधारी चैक से अखाड़े की पेषवाई भव्य व दिव्य रूप से प्रत्येक कुंभ मेले मंे निकाली जाती है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला विष्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है और करोड़ों देषवासियों की आस्था का केन्द्र है जो सम्पूर्ण विष्व में एकता व सौहार्द का संदेष देता है। कुंभ मेले के दौरान आने वाले यात्री, श्रद्धालु व संतों की सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए प्रषासन को समय से पूर्व कुंभ मेले से सम्बन्धित सभी कार्य पूर्ण कर लेने चाहिये। बिजली, पानी, पथ प्रकाष की व्यवस्था के अलावा मेला प्रषासन को अखाड़ों आश्रमों के संतों के साथ समन्वय कर कुंभ मेले से जुड़ी बाकी व्यवस्थाओं पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि प्रषासन व संतों के समन्वय से ही कुंभ मेला सकुषल सम्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि पेषवाई का स्वरूप कैसा रहेगा इसका फैसला समय के अनुसार ही निर्धारित किया जायेगा लेकिन सभी संत महापुरूष यह आषा करते हैं कि कुंभ मेला भव्य व दिव्य रूप से सम्पन्न हो। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला शाही स्नान की तिथियां पूर्व में ही निर्धारित हो चुकी है। अखाड़े के संत अपनी परम्परा के अनुसार हरकी पौड़ी पर ही पतित पावनी मां गंगा में स्नान करेगें। उन्होंने बताया कि 2 अप्रैल को श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण की धर्मध्वजा को फहराया जायेगा और 4 अप्रैल को भव्य रूप से अखाड़े के संतों के सानिध्य में पेषवाई निकाली जायेगी। श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है उसे देखते हुए प्रषासन को अपनी कमर कस लेनी चाहिये और कुंभ मेले से सम्बन्धित सभी कार्य समय से पूर्ण कर लेने चाहिये। महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म की अद्भुत पहचान है जो देष में एकता व अखण्डता बनाये रखने का प्रतीक है। नासिक, उज्जैन व प्रयागराज की तर्ज पर ही हरिद्वार कुंभ मेले की तैयारियां समय से पूर्व की जाये जिससे मेले में आने वाले किसी भी संत अथवा यात्री श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े। इस दौरान महंत दर्षन दास आदि उपस्थित रहे।

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