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विद्वान महापुरूष थे ब्रह्मलीन स्वतः मुनि महाराज-मुखिया महंत भगतराम


हरिद्वार, 1 अक्टूबर। श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि महाराज एक विद्वान महापुरूष थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए युवा पीढ़ी को इसके लिए प्रेरित किया। उनके आदर्श संत समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। भूपतवाला स्थित स्वतः मूनि उदासीन आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि उदासीन की पुण्य तिथी पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि ने जीवन पर्यन्त सनातन परंपरांओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया। स्वतःमुनि उदासीन आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने कहा कि महापुरुष मात्र शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी शिक्षाएं अनंत काल तक मार्गदर्शन करती हैं। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा व समाज कल्याण के लिए समर्पित किया। उन्हीं के मार्ग का अनुसरण कर उनके द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी की जा रही है। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि संत महापुरुष सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक हैं। जो अनादि काल से सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी महापुरुष थे। जिन्होंने अनेक गीता भवनों का निर्माण कर राष्ट्रहित में समर्पित किया। ऐसे महापुरुषों को सदैव स्मरण रखा जाएगा। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में संत महापुरुषों ने हमेशा ही अग्रणी भूमिका निभाकर युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाया है। ऐसे ही महान सनातन संस्कृति के रक्षक ब्रह्मलीन स्वामी स्वतः मुनि महाराज एक अवतारी महापुरुष थे। जिन्होंने संपूर्ण भारत में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी अनंतानंद, महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, महंत रामानंद सरस्वती, महंत जसविन्दर सिंह, स्वामी कृष्णानंद, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, स्वामी भगवतस्वरूप, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी संतोषानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी शिवानंद, महंत बिहारी शरण, महंत निर्मल दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत दिनेश दास, महंत अकित शरण सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।

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