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लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्वहन करते हुए भारत को विश्वगुरु बनाना ही संत समाज का लक्ष्य- स्वामी ऋषिश्वरानंद

श्री चेतन ज्योति आश्रम में किया गया झंडा ध्वजारोहण

गणतंत्र दिवस के अवसर पर भूपतवाला स्थित श्री चेतन ज्योति आश्रम में झंडारोहण किया गया। इस दौरान चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने सभी विद्यार्थियों को देश भक्ति और सनातन संस्कृति के प्रति समर्पण की शपथ दिलाई। इस दौरान स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्वहन करते हुए भारत को विश्व गुरु बनाना ही संत समाज का लक्ष्य है। हम सभी को अपने देश के प्रति समर्पित भावना से परिपूर्ण रहकर राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करना चाहिए। युवा पीढ़ी समाज की रीढ़ है। जिन्हें अपने धर्म एवं संस्कृति के प्रति जागृत होकर धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर देने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, अशफाक उल्ला खां जैसे महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर पाश्चात्य संस्कृति का त्याग करते हुए अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए। युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवानंद महाराज ने कहा कि भारत को पूर्ण गणराज्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ ही भारतीय संविधान आज ही के दिन लागू हुआ था। अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को संत समाज श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। वास्तव में गणतंत्र दिवस हमारे देश में एक राष्ट्रीय पर्व है। क्योंकि संविधान के बिना किसी भी देश की शासन व्यवस्था को संचालित नहीं किया जा सकता और संविधान से ही भारत के सभी जाति और वर्ग के लोगों को एक दूसरे से जोड़ा जाता है। राष्ट्र की एकता अखंडता कायम रखने में संत समाज ने सदैव भी अग्रणी भूमिका निभाकर राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर किया है। गणतंत्र दिवस का दिन हमारी प्रगति का जायजा लेने और उभरती चुनौतियों के क्षितिज को मापने का अनोखा अवसर प्रदान करता है। संविधान लागू होने के कितने वर्षों बाद भी आज भारत अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा, नक्सलवाद और आतंकवाद, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से लड़ रहा है। हम सभी को एक होकर इन समस्याओं को समाप्त करने के लिए आगे आना चाहिए। क्योंकि जब तक इन समस्याओं का हल नहीं होगा तब तक स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा नहीं होगा। इस अवसर पर श्रवण कुमार, अनिल कुमार, महंत सूरज दास, महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास उपस्थित रहे।

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