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आद्य गुरू शंकराचार्य के उपदेशों को सरल भाषा में आमजन तक पहुंचाए संत समाज-श्री श्री शंकर भारती महास्वामी

हरिद्वार, 8 अप्रैल। कर्नाटक की सांस्कृतिक नगरी मैसूर मंडल के कृष्णराज नगर स्थित वेदांत भारती संस्था द्वारा सूरत गिरी बंगले में आयोजित दो दिवसीय संत समागम के अंतिम दिन कई प्रस्ताव पास किए गए। संत समागम में पारित प्रस्तावों के संबंध में जानकारी देते हुए संस्था के संरक्षक श्री श्री शंकर भारती महास्वामी महाराज ने कहा कि आद्य जगद््गुरू शंकराचार्य के उपदेशों व जीवन दर्शन को आमजन तक पहुंचाने के लिए संत महापुरूषों द्वारा प्रस्तुत विमर्श के उपरांत तय किया गया कि अद्वैत पंरपरा के सभी सन्यासी मिलकर सरल उपायों के जरिए आचार्य शंकर के उपदेशो को महिलाओं, युवाओं व विद्यार्थियों तक पहुंचाएंगे। प्रत्येक सनातन धर्मी को शंकराचार्य जयंती मनाने तथा उनके उपदेशों का पठन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। श्री शंकर दिग्विजय ग्रन्थ के आधार पर उनके जीवन की विशेषताओं से समाज को अगवत कराया जाएगा। प्रवचन और व्याख्यान में भगवत्पाद के वाक्यों का संदर्भ के रूप में उल्लेख करें। जिससे आम लोग भी लाभान्वित हो सकें। श्री शंकर भगवत्पाद के गं्रथों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कर आम जनता तक पहुंचाया जाएगा। भविष्य में होने वाले कुंभ मेलों में सभी अखाड़े, आश्रम व धार्मिक संस्थाएं कार्यक्रमों का आयोजन कर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करेंगे। आद्य शंकराचार्य के उपदेशों को जन जन तक पहुंचाने के लिए वेदांत भारती, अखाड़ा परिषद, आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति, आद्य शंकराचार्य ब्रह्मविद्या पीठ मिलकर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि आद्य गुरू शंकराचार्य के उपदेशों से श्रद्धालु भक्तों को अवगत कराने के लिए कुंभ मेला सबसे बेहतर अवसर है। म.म.स्वामी चिदंबरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि आद्य गुरू शंकराचार्य प्रत्येक सनातन धर्मी के पूज्यनीय हैं। विभिन्न संप्रदायों व विचारों में विभक्त विशाल हिंदू समाज को एकजुट करने में आद्य गुरू शंकराचार्य का अहम योगदान है। अद्वैत परंपरा के सभी सन्यासियों को मिलकर आद्य गुरू शंकराचार्य के उपदेशों व उनके जीवन दर्शन से प्रत्येक भारतवासी को अवगत कराना चाहिए। संत समाज को उनके उपदेशों का प्रचार प्रसार समाज को लाभान्वित करना चाहिए। कुंभ मेले में आए सभी संत महापुरूष प्रवचनों के माध्यम से शंकराचार्य के उपदेशों का प्रचार प्रसार करें। इस दौरान आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती महाराज, म.म.स्वामी विश्वेश्रानन्द गिरी महाराज, स्वामी चिदानन्द मुनि, स्वामी मुक्तानन्द, स्वामी परमात्मानन्द, स्वामी प्रणबानन्द, स्वामी कमलेशानन्द, स्वामी ब्रह्मानन्द, श्रीधर हेगड़े, वेंकट रमण भट्ट, हनुमंत राव, स्वामी दिनकरानन्द सरस्वती आदि संतजन व श्रद्धालु मौजूद रहे।

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