Dharm

भक्तों पर सदैव कृपा बरसाते हैं भगवान शिव-जिला अधिकारी

विक्की सैनी

जिला अधिकारी सी.रविशंकर ने श्री दक्षिण काली मंदिर में किया भगवान शिव का जलाभिषेक

हरिद्वार, 20 जुलाई। सावन के तीसरे सोमवार को जिला अधिकारी सी.रविशंकर ने श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंचकर भगवान शिव की पूजा अर्चना व जलाभिषेक कर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज से आशीर्वाद लिया। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने श्रावण मास के तीसरे सोमवार पर विभिन्न प्रकार के फूलों व द्रव्यों से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर विश्व कल्याण की कामना करते हुए कहा कि महादेव भगवान शिव की आराधना सदैव कल्याणकारी होती है। श्रावण माह भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पात्र करने का सबसे बेहतर अवसर है। श्रावण में प्रतिदिन विधि विधान से भगवान शिव का पूजन व जलाभिषेक करने पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है। शिव कृपा से साधक के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। संसार का कल्याण करने वाले भगवान शिव की कृपा से कोरोना का प्रकोप जल्द समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में की गयी शिव उपासना सहस्त्र गुणा पुण्य फलदायी होती है। भगवान शिव पर दूध, दही, भांग, धतूरा आदि अर्पित करने से भगवान साधक पर प्रसन्न होते हैं और उसे अपनी कृपा का पात्र बना लेते हैं। भक्त की सूक्ष्म आराधना से ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में भक्तों को भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। भक्तों की सभी मनोकामनाएं भोलेनाथ की कृपा से पूर्ण होती हैं। कष्टों से मुक्ति पानी है तो भगवान शिव स्मरण करते रहें। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में श्री दक्षिण काली मंदिर में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक व जलाभिषेक किया जाता है।

श्रावण मास में भक्तजनों को सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए। जिला अधिकारी सी.रविशंकर ने कहा कि भगवान शिव अपने भक्तों पर सदैव कृपा बरसाते हैं। वे सौभाग्यशाली है कि उन्हें सिद्धपीठ श्री दक्षिण काली मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज भगवान शिव के सच्चे उपासक हैं। उनके द्वारा प्रतिवर्ष सावन में भगवान शिव के निमित्त विधि विधान पूर्वक कड़ी साधना की जाती है। इससे सभी को प्रेरणा मिलती है। इस दौरान आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्र्हम्मचारी, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, अनुराग वाजपेयी, कृष्णा शर्मा, सागर ओझा, अनूप भारद्वाज, पंडित शिवकुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *