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गुरु शिष्य परंपरा संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है -श्रीमहंत राजेंद्रदास


हरिद्वार, 19 सितंबर। अखिल भारतीय श्री पंच निर्माेही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा है कि गुरु शिष्य परंपरा संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है और भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म विश्व का मार्गदर्शन कर समाज को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। मध्य हरिद्वार स्थित सिद्ध पीठ श्री रामानंद आश्रम में आयोजित गुरु स्मृति पर्व पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि गुरु ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गुरु के प्रति श्रद्धा और भाव निष्ठा एवं कर्तव्य प्रत्येक शिक्षा के मूल सिद्धांत है और जिस पर गुरु शिष्य परंपरा की आधारशिला टिकी है। जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में गुरु का स्थान सर्वाेपरि है। जो अपने शिष्य का संरक्षण कर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुरु के प्रति समर्पण भाव रखना चाहिए और उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। राजकोट गुजरात से आए श्रीमहंत रामभूषण दास महाराज ने कहा कि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है और गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव है। व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो, उसे गुरु की आवश्यकता पड़ती ही है। गुरु के प्रति अपार श्रद्धा शिष्य को महान बनाती है और योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। महामंडलेश्वर भगवान दास बापू महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है और निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले संत महापुरुष सदैव ही समाज को ज्ञान की प्रेरणा देते हैं। संत परंपरा सनातन संस्कृति की रीढ़ है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुरु द्वारा दिए गए संस्कार अपनाकर उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए और अपने जीवन को कृतार्थ करना चाहिए। इस अवसर परश्रीमहंत रामकिशोर दास बाबा हठयोगी, श्री महंत हरिदास, महंत गोविंद दास, महंत श्याम प्रकाश, योगी पवित्र दास, महंत दिनेश दास, महंत शंभू दास, महंत प्रेमदास, महंत दुर्गादास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, महंत सूरज दास, महंत प्रसाद दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत प्रमोद दास आदि संतजन उपस्थित रहे।

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