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गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह

हरिद्वार, 13 जुलाई। निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। जो व्यक्ति का परमात्मा से साक्षात्कार करवाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उसे गुरु की आवश्यकता पड़ती ही है। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में गुरु पर्व के अवसर पर निर्मल संतो ने श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज को फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति असंभव है। प्रत्येक व्यक्ति को गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारत को महान बनाती है। गुरु अपने शिष्य का भविष्य उज्जवल ही नहीं करते। बल्कि उनका संरक्षण कर उन्हें प्रत्येक बाधा से पार लगाते हैं। प्रत्येक शिष्य को अपने गुरु की सेवा करनी चाहिए और उनसे प्रेरणा लेकर समाज कल्याण में अपनी सहभागिता निभानी चाहिए। इस अवसर पर ज्ञानी महंत खेम सिंह, महंत निर्भय सिंह, महंत देवेंद्र सिंह दयालपुर मिर्जा, महंत गुरविंदर सिंह त्रंबकेश्वर, संत गोरक्ष हरी, महंत जरनैल सिंह, महंत गुरुभक्त सिंह, महंत दर्शन सिंह शास्त्री, महंत अमनदीप सिंह, संत सुमन सिंह, संत हरजोध सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत गुरजीत सिंह, संत वीर सिंह सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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