Dharm

निर्मल अखाड़े में संत समाज के सानिध्य में मनायी गयी गुरू गोविन्द सिंह महाराज की पुण्यतिथी


भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे गुरू गोविन्द सिंह महाराज-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह
हरिद्वार, 25 सितंबर। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में गुरु गोविंद साहिब की पुण्यतिथी सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों के सानिध्य में मनाई गई। इस दौरान कनखल स्थित अखाड़े के गुरुद्वारे में शब्द कीर्तन एवं अरदास कर विश्व कल्याण की कामना की गई। श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद साहब एक दार्शनिक कवि और महान योद्धा थे। जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए समस्त परिवार का बलिदान दिया। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे। वहीं वह एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत भाषा सहित कई भाषाओं के ज्ञानी थे। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उन्हीं के मार्ग का अनुसरण कर युवा पीढ़ी को धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी अनंत देव गिरी महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद साहब महाराज ने सदैव समाज को प्रेम एकता एवं भाईचारे का संदेश प्रदान किया और उनके जीवन का प्रथम दर्शन था कि धर्म का मार्ग ही सत्य का मार्ग है और सत्य के मार्ग पर चलने वालों की सदा विजय होती है। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद साहब ने मानव मात्र में नैतिकता निडरता तथा आध्यात्मिक जागृति का संदेश दिया और रंग, जाति एवं संप्रदाय के भेदभाव के बिना समता, समानता एवं समरसता के अलौकिक ज्ञान की प्रेरणा समस्त जगत को दी। ऐसे महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर सभी को मानव जाति में प्रेम एवं सद्भावना को जागृत करना चाहिए और अपने धर्म के प्रति स्वयं एवं अपने परिवार को समर्पित करना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री महाराज ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान देने वाले गुरू गोविन्द सिंह महाराज सभी के प्रेरणा स्रोत हैं। उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेकर प्रत्येक देशवासी को आदर्श समाज की स्थापना का संकल्प लेना चाहिए। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह त्याग एवं वीरता की मिसाल थे। जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। गुरु गोविंद सिंह जी का प्रसांगिक जीवन एवं उनकी शिक्षाएं हमारे जीवन को एक आदर्श मार्ग पर ले जाने में सहायक हैं। विश्व हिंदू परिषद के दिनेश भैया ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह एक विलक्षण एवं क्रांतिकारी व्यक्तित्व के संत थे। जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया। गुरु गोविंद सिंह केवल आदर्शवादी ही नही थे, बल्कि वे एक अध्यात्मिक गुरु भी थे। जिन्होंने मानवता को शांति, प्रेम समानता एवं समृद्धि का रास्ता दिखाया। स्वामी रवि पुरी मोनी बाबा ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह में भक्ति और शक्ति मानव समाज का उत्थान धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओतप्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी। जिससे उन्होंने सदैव सिद्धांतों एवं आदर्शों की लड़ाई लड़ी और भारतीय विरासत तथा जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए समाज को नए सिरे से तैयार किया और खालसा के सृजन का मार्ग अपनाया। ऐसे महापुरुष का बलिदान सभी के लिए प्रेरणादाई है। इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महंत अमनदीप सिंह, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत खेम सिंह, स्वामी रवि देव शास्त्री, महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद, वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्री अनुपमा रावत पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिष्वरानंद, श्रीमहंत राम रतन गिरी, जगद्गुरु स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी संतोष आनंद देव, आह्वान अखाड़े के श्रीमहंत शिव शंकर गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत कमल दास, स्वामी दिनेश दास, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, महंत रंजय सिंह, संत निर्भय सिंह, संत सिमरन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविंदर सिंह, ज्ञानी जैल सिंह, संत सुमन सिंह, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत गुरमीत सिंह, समाजसेवी अतुल शर्मा, देवेंद्र सोडी, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, महंत प्रेमदास, महंत अंकित शरण, महंत बिहारी शरण, महंत दर्शन सिंह सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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