हरिद्वार, 6 सितंबर। श्री विद्या कुंड आश्रम के प्रमाध्यक्ष महंत रामेंद्र बिहारी दास महाराज ने कहा है कि गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। करोड़ों हिंदुओं की आस्था की प्रतीक गौ माता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। जिनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। भूपतवाला स्थित आश्रम में प्रेस को जारी बयान में महंत रामेंद्र बिहारी दास महाराज ने कहा कि गौ माता के नेत्रों में प्रकाश स्वरूप भगवान सूर्य तथा चंद्र देव का निवास होता है और सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इस महत्व को समझते हुए केंद्र सरकार को जल्द से जल्द गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए। आज देश में कई जगह पर गौ हत्या कर गौ मांस का व्यवसाय किया जा रहा है। जोकि अधर्म का कार्य है। सरकार को कड़ा गो संरक्षण कानून बनाने के साथ ही गौ संवर्धन के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। जिससे गौमाता और गोवंश का संरक्षण भली-भांति हो सके। उन्होंने कहा कि कामधेनु के रूप में गौ माता सभी की इच्छाएं पूर्ण करती है और उनका निवास भी गोलोक है। उन्होंने कहा कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी तो सर्वप्रथम गौमाता को पृथ्वी पर भेजा था। सनातन प्रेमियों की भावनाओं को सम्मान देते हुए केंद्र सरकार जल्द से जल्द गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित करें। इसके लिए संतों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही मुख्यमंत्री के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी प्रेषित करेगा। क्योंकि देश में लगातार कुछ असामाजिक तत्व गौ हत्या कर सनातन धर्म पर कुठाराघात कर रहे हैं। जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गौ माता अपनी बैठी हुई जगह के सारे पापों को अपने अंदर समाकर उस जगह को शुद्ध कर सकारात्मक से परिपूर्ण कर देती है और गो पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है। क्योंकि गाय के सींगों में तीनों लोकों के देवी देवता विद्यमान रहते हैं। जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से प्रसन्न होकर उनके सारे मनोरथ पूर्ण करते है।ं महंत रामेंद्र बिहारी दास महाराज ने कहा कि लाखों-करोड़ों संत महापुरुष अपने अपने आश्रमों में गौशाला के माध्यम से गाय का संरक्षण संवर्धन करने में जुटे हुए हैं। सरकार को गौ सेवा के लिए आर्थिक रूप से भी संत समाज का सहयोग करना चाहिए और गौ संरक्षण संवर्धन के लिए संत समाज के साथ मिलकर गौ संरक्षण के लिए कानून बनाने पर जल्द से जल्द विचार करना चाहिए।
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