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बैरागी संतों की उपेक्षा कर रहा मेला प्रशासन-श्रीमहंत राजेंद्रदास

विक्की सैनी

वैष्णव संतों ने की बैरागी कैंप में कुंभ कार्य शुरू कराने की मांग

हरिद्वार, 25 दिसंबर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बैरागी कैंप पहुंचकर तीनों बैरागी अखाड़ों के संत महापुरुषों से कुंभ मेले की व्यवस्थाओं पर चर्चा की। चर्चा के दौरान श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। जो संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति की छटा को बिखेरता है। महाकुंभ मेले को भव्य और दिव्य बनाना सभी संत महापुरुषों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन बैरागी संतो की उपेक्षा कर रहा है। कुंभ मेला कार्यों के नाम पर वैष्णव अखाड़ों को बार-बार बरगलाया जा रहा है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेला प्रशासन जल्द से जल्द बैरागी संतो को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करे। श्रीपंच निर्वाणी अणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला प्रारंभ होने में बहुत कम समय शेष रह गया है। मेला प्रशासन तीव्र गति से बैरागी कैंप क्षेत्र के मेले से जुड़े सभी कार्य पूर्ण करें। जिससे वैष्णव संतो को कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। महंत गौरी शंकरदास महाराज एवं महंत रामशरणदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान लाखों की संख्या में वैरागी संत बैरागी कैंप क्षेत्र में आगमन करते हैं। मूलभूत सुविधाएं ना मिलने से संत महापुरुषों के साथ-साथ श्रद्धालु भक्तों को भी भारी दिक्कतों का सामना पड़ सकता है। साथ ही मेले के दौरान कोई भी घटना घटित हो सकती है। उन्होंने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज से मांग की है कि जल्द से जल्द वैष्णव अखाड़ों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान कराएं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बैरागी संतो को आश्वासन देते हुए कहा कि कुंभ मेला दिव्य रुप से ही संपन्न होगा। मेले के दौरान किसी भी वैरागी संत अथवा अखाड़े को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए उनकी मुख्यमंत्री से वार्ता हो चुकी है और कंुभ मेले को भव्य रुप से संपन्न कराया जाएगा। बैरागी क्षेत्र में बैरागी संतो के शिविर भव्य रुप से लगेंगे। इस दौरान महंत रामकिशोर दास, महंत मनीषदास, महंत केशवदास, महंत मोहनदास, महंत अगस्त दास, महंत शिंटूदास आदि संतजन भी मौजूद रहे।

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