विक्की सैनी
हरिद्वार महाकुंभ मेले का स्वरूप कोविड-19 से निपटने वाली वैक्सीन पर निर्भर करेगा। यदि कोरोना संक्रमण से बचाव की टीका महाकुंभ के आयोजन से पहले आ गया तो यह महापर्व अपने दिव्य और भव्य स्वरूप में आयोजित होगा। लेकिन कोरोना संक्रमण के हालात सामान्य नहीं हुए और कोई वैक्सीन नहीं आई, तो कुंभ का आयोजन भी कांवड मेले की तर्ज पर होगा।
हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन 2021 में होना है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत घोषणा कर चुके हैं कि महाकुंभ ज्योतिष गणना के अनुसार तय तिथि पर होगा। अखाड़ा परिषद के संत महात्माओं के साथ उनकी बैठकों का सिलसिला जारी है।
कोरोना संक्रमण के चलते सरकार हालातों पर नजर रखे हुए है। यही वजह है कि महाकुंभ के स्वरूप को लेकर फरवरी माह में मंथन होना है। तत्कालीन परिस्थितियों के आधार पर सरकार को निर्णय लेना है।
सरकार ने अब संकेत दिए हैं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण की चुनौती के बीच महाकुंभ का भव्य आयोजन तभी हो पाएगा जब इस भयानक महामारी से बचने का कोई दवा तैयार होगी। यानी फरवरी 2021 से पहले बाजार में कोरोना के इलाज की वैक्सीन आने का इंतजार सरकार को रहेगा। यदि वैक्सीन नहीं आती है तो फिर सरकार के पास महाकुंभ के आयोजन को कांवड यात्रा की तरह नियंत्रित करना होगा।
कोरोना काल में हमने कांवड मेले को नियंत्रित किया। महाकुंभ के दौरान उस समय की स्थितियों को देखा जाएगा। अगर वैक्सीन पहले आ जाती है तो इसका अलग व भव्य स्वरूप होगा। वरना कांवड मेले की तरह ही कुंभ में भी भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा।