हरिद्वार, 21 जून। ब्रहमलीन महंत ईश्वरदास महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थें। जिन्होंने सदैव भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। उक्त उद्गार श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज ने चेतन देव कुटिया में आयोजित ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज के श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रीमहंत महेश्वरदास दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। सभी को उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए देश व समाज के उत्थान में अपना योगदान देना चाहिए। श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। अध्यात्म व गंगा के प्रति उन्हें बेहद लगाव था। ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज भक्तों को सदैव गंगा की पवित्रता बनाए रखने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने कहा कि युवा संतों को उनके दिखाए मार्ग पर चलते धर्म व अध्यात्म के प्रचार प्रसार में योगदान करना चाहिए। महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज व महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि संत समाज सनातन संस्कृति का संवाहक है। देश दुनिया में सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार संत महापुरूषों द्वारा किया जाना प्रशसंनीय है। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण में ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज का अहम योगदान है। उन्होंने हमेशा निस्वार्थ सेवा भाव गरीब, निसहाय परिवारों की मदद की। गौ, गंगा संरक्षण संवर्द्धन में भी उनका अनुकरणीय योगदान रहा है। महंत संतोष दास महाराज ने अपने गुरूदेव ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव ज्ञान का अथाह सागर थे। गुरूदेव से प्राप्त ज्ञान व उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म संस्कृति के अनुसरण कर ही समाज में परिवर्तन किया जा सकता है। युवा संतों को समाज उत्थान में अपना योगदान देने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। चेतनदेव कुटिया के परमाध्यक्ष महत मोहनदास दास महाराज ने कहा कि महंत ईश्वरदास महाराज के अचानक ब्रह्लीन होने से संत समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है। सनातन धर्म के उत्थान व समाज कल्याण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उन्होंने बताया कि संतमहापुरूषों की उपस्थिति में ब्रह्मलीन महंत ईश्वरदास महाराज की अस्थियां सती घाट पर गंगा में प्रवाहित की गयी। इस अवसर पर महंत जसविन्दर सिंह, महंत दामोदर दास, महंत कमलदास, महंत अद्वैतानन्द, महंत मोहन सिंह, महंत दुर्गादास, महंत श्यामप्रकाश, म.म.संतोषानंद देव, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, स्वामी हरिहरानंद, म.म.स्वामी भगवतस्वरूप, म.म.स्वामी कपिलमुनि, महंत प्रेमदास, संत जगजीत सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत सुमित दास, महंत सूजरदास, महंत शिवानंद, महंत श्रवण मुनि, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, महंत दर्शनदास, महंत जयेंद्र मुनि आदि संत महापुरूष मौजूद रहे।
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