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सनातन धर्म के ध्वजवाहक थे ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती-स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती

हरिद्वार, 12 सितम्बर। जगतगुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने पर भारत साधु समाज षड्दर्शन साधु समाज एवं सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों ने कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए सनातन जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। इस दौरान पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन धर्म के ध्वजवाहक थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म की रक्षा और मानवता की सेवा के लिए समर्पित किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान सदा स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष एवं भारत साधु समाज के प्रवक्ता स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन संस्कृति के पुरोधा थे। जिनका जीवन आज भी सर्व समाज के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने समाज में पैदा हो रहे विघटन और हिंदुत्व मैं फैली विकृति को दूर कर समाज को सदैव नई दिशा प्रदान की। गुरुकुल परंपरा का उत्थान हो अथवा धर्म का प्रचार प्रसार उन्होंने हिंदू समाज को संगठित कर पुणे धर्म उत्थान के लिए समाज को प्रेरित किया। ऐसे अवतारी महापुरुष का ब्रह्मलीन होना संपूर्ण मानव जाति के लिए हृदय विदारक घटना है। भारत साधु समाज केंद्र एवं राज्य सरकार से यह मांग करता है कि जगतगुरु शंकराचार्य के निधन पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाए और उन्हें भारत रत्न प्रदान किया जाए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि महापुरुषों का कैलाश गमन हमेशा ही देश एवं समाज के लिए दुख का विषय है। जगतगुरु शंकराचार्य महाराज ने राज उन्नति की ओर अग्रसर करने के लिए अनेकों कार्य किए और स्वतंत्रता संग्राम में अपना सहयोग प्रदान कर देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गोरक्षा आंदोलन हो अथवा गंगा संरक्षण और धर्म एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार हर एक क्षेत्र में उन्होंने आदरणीय भूमिका निभाकर समाज को उन्नति की ओर अग्रसर किया। वह हम सभी के प्रेरणा स्रोत है और हमेशा ही रहेंगे। महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद एवं पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि पूज्य ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का सरल जीवन और उत्तम चरित्र युवा संतो के लिए प्रेरणा से परिपूर्ण है। संपूर्ण विश्व भर में सनातन धर्म की अलख जगाने वाले ऐसे युगपुरुष समाज को विरले ही प्राप्त होते हैं। संत समाज उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता है और यह कामना करता है कि उनके जीवन से प्रेरणा लेकर युवा संत धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान करते हुए राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में अपना अतुल्य सहयोग प्रदान करें। इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत शिवानंद भारती, महंत गोविंद दास उदासीन, महंत शिवानंद, महंत तूफान गिरी, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, महंत दिनेश दास, पंडित अधीर कौशिक, महंत कृष्ण मुनि, स्वामी केशवानंद सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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