राकेश वालिया
हरिद्वार, 29 सितम्बर। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा है कि पुरूषोत्तम मास में गंगा तट पर भागवत कथा श्रवण का विशेष महत्व है। सहस्त्र गुणा पुण्य फल की प्राप्ति श्रोताओं को होती है। भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित आॅनलाईन श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति को व्यथाओं से मुक्त होना है तो कथा के माध्यम से भगवान की शरण में पहुंचना होगा। व्यक्ति का मन चंचल होता है। जो व्यक्ति को विकारों की तरफ ले जाता है। यदि व्यक्ति को मोहमाया के जंजाल से मुक्त होना है और अंधकार रूपी अंधकार से निकलना है तो श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंगों को जीवन में आत्मसात करना होगा। क्योंकि कथा श्रवण के प्रभाव से व्यक्ति के शरीर और अंतःकरण का शुद्धिकरण होता है। जिससे वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होकर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि मन को एकाग्र कर प्रभु व्यक्ति में लीन रहकर ही परमात्मा की प्राप्ति की जा सकती है। भगवान प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विराजमान हैं। परंतु व्यक्ति को इसका बोध नहीं होता। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में आॅनलाईन श्रीमद्भावगत कथा के माध्यम से भक्तों में धार्मिक ऊर्जा का संचार होगा ओर मन मे एकाग्रता बढ़ेगी। क्योंकि श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुण्ठ का मार्ग प्रशस्त करती है। हम सभी को अपने बच्चों को संस्कारवान बनाकर कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि व्यक्ति को परमभक्ति को प्राप्त करना है तो अपना मन प्रभु के चरणों में लगाना होगा। क्योंकि परमात्मा की प्राप्ति उसी को होती है जिसका मन शुद्ध होता है। निरंतर हरि स्मरण से व्यक्ति का जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। इस अवसर पर श्रीमहंत सत्यानन्द गिरी, स्वामी सोनू गिरी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, आचार्य मनीष जोशी, महेश योगी, सुनील दत्त नंदकिशोर, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।