विक्की सैनी
हरिद्वार, 3 जुलाई। राज्य सरकार के बंदरों को मारे जाने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजे जाने पर युवा भारत साधु समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। श्री गरीबदासीय धर्मशाला सेवा आश्रम में युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि बंदरों को मारे जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजा जाना अशोभनीय है। भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म में बंदरों को बजरंग बली हनुमान का स्वरूप माना जाता है और उनका पूजन भी किया जाता है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा यह प्रस्ताव लाना विवेकहीन निर्णय है। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के चलते श्रद्धालु यात्री उत्तराखण्ड में नहीं आ पा रहे है और ना ही स्थानीय लोग अधिक संख्या में मंदिरों व धार्मिक स्थल दर्शन करने जा पा रहे हैं। जिससे बंदरों को खाने का संकट गहरा गया हैं और वे शहरों की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं। राज्य सरकार को बंदरों सहित अन्य जानवरों के खाने पीने हेतु योजना बनाकर उचित व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि जीव जन्तु रिहाईशी इलाकों में प्रवेश ना करें। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत शिवानंद महाराज ने कहा कि बंदरों को मारे जाने वाला निर्णय तर्कसंगत नहीं है। जीव जन्तुओं का संरक्षण संवर्द्धन करना मानव जाति का परम कर्तव्य माना जाता है। बंदर भी समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। सनातन धर्म व संस्कृति में बजरंग बली हनुमान के स्वरूप ओर प्रभु श्रीराम की सेना के प्रति इस तरह के प्रस्तावों की जितनी भी निंदा की जाए उतना कम है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जीव जन्तुओं व प्रकृति प्रेमी प्रदेश है। लेकिन राज्य की त्रिवेंद्र सरकार जनता विरोधी प्रस्ताव पास कर क्या साबित करना चाहिए। ऋषि मुनियों की तपस्थली व देवभूमि उत्तराखण्ड में इस तरह के प्रस्तावों को लाना औछी मानसिकता का प्रमाण है।
युवा भारत साधु समाज सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग करता है कि इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लिया जाए। स्वामी हरिहरानंद व स्वामी श्रवण मुनि महाराज ने कहा कि राज्य सरकार को वन विभाग को जीव जन्तु पशु पक्षियों के संरक्षण संवर्द्धन के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। बंदरों के प्रति इस तरह की संकीर्ण मानसिकता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राज्य की त्रिवेंद्र सरकार हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को तत्काल निरस्त किया जाए वरना संत समाज आंदोलन चलाने को बाध्य होगा। बैठक में युवा भारत साधु समाज के स्वामी अरूण दास, महंत सूरज दास, स्वामी दिनेश दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, स्वामी नरेश मुनि, संत जगजीत सिंह, महंत सुमित दास, स्वामी नित्यानन्द आदि ने भी राज्य सरकार की निंदा करते हुए सरकार से प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की।