हरिद्वार, 22 मई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के शिष्य बाल स्वामी महंत अंकित दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा में सभी ग्रंथों का सार निहित है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। फल की दृष्टि से श्रीमद्भागवत कथा के समान पुष्कर प्रयाग कोई तीर्थ नहीं है। इसलिए सभी सनातन प्रेमियों को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। बैरागी कैंप स्थित श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कथा व्यास महंत अंकित दास महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी है। जब हम इसमें निहित उपदेशों को अपने जीवन दर्शन में शामिल कर उसे अपने व्यवहार में लाएं और अपने माता पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से प्रत्येक व्यक्ति में धार्मिक भावना का संचार होता है और उसके तन के साथ-साथ मन का भी शुद्धीकरण हो जाता है। श्री ज्ञान गंगा गौशाला के अध्यक्ष महंत रामदास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायक ग्रंथ है। जिसके श्रवण से व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति एवं मुक्ति मिलती है। निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को मंगलमय बना कर अपना आत्मकल्याण करना ही श्रीमद् भागवत कथा का मूल सार है। श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के अध्यक्ष पवन शर्मा ने कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का अलौकिक, आध्यात्मिक विकास होता है। वास्तव में कथा का दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होता। कलयुग में भागवत साथ-साथ श्री हरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्य का फल प्राप्त होता है और गंगा तट पर दुर्लभ प्राणी को ही इस कथा के श्रवण का लाभ प्राप्त होता है। इस अवसर पर स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, स्वामी हरिहरानंद, महंत प्रह्लाद दास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत सूरजदास, महंत गोविंद दास, महंत अगस्त दास, महंत निर्मल दास, समाजसेवी जयभगवान सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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