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आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज का अखाड़े में होगा भव्य स्वागत-स्वामी बालकानंद गिरी

विक्की सैनी


हरिद्वार, 12 जनवरी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बताया कि 15 वर्षो के पश्चात धर्मनगरी हरिद्वार की पवित्र भूमि पर किसी संत का आचार्य महामण्डलेश्वर पर अभिषेक होने जा रहा है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बताया कि लगभग 15 वर्ष पूर्व स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज का जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर पद पर अभिषेक किया गया था। 15 वर्षो के बाद स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज निरंजनी अखाड़े के आचार्य महाण्डलेश्वर पद पर विराजमान होने जा रहे हैं। इसे लेकर अखाड़े व संत समाज में खुशी का माहौल है। आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के स्वागत के लिए अखाड़े में विशेष साजसज्जा की जा रही है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के पवित्र पर्व के अवसर पर अखाड़े में भव्य रूप से आयोजित किए जा रहे पट्टाभिषेक समारोह में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों, समस्त संत समाज व राजनीति तथा समाज के गणमान्य लोगों की मौजूदगी में स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज का अखाड़े के सर्वोच्च पद आचार्य महामण्डलेश्वर पद पर अभिषेक किया जाएगा। आयोजन को लेकर निंरजनी अखाड़े के संतों सहित समस्त संत समाज व श्रद्धालुओं में बेहद उत्साह है।
आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि भव्य रूप से आयोजित किए जा रहे पट्टाभिषेक समारोह के साथ ही कुंभ का आगाज भी होगा। समारोह में सम्मिलित होने के लिए संतों व श्रद्धालुओं का हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गया है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के आचार्यात्व में निरंजनी अखाड़ा धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।
मां मनसा देवी मंदिर के सचिव व निंरजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के निरंजनी अखाड़े के आचार्य महाण्डलेश्वर पद पर होने वाले पट्टाभिषेक समारोह की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। समारोह में प्रदेश की राज्यपाल, मुख्यमंत्री, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई केंद्रीय मंत्रीयों सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। इस दौरान श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत ओंकार गिरी, श्रीमहंत लखन गिरी, महंत मनीष भारती, महंत गंगा गिरी, महंत राजेंद्र भारती, महंत नरेश गिरी, महंत नीलकंठ गिरी, महंत राधेगिरी, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, स्वामी रघुवन, स्वामी मधुरवन, स्वामी रविवन आदि मौजूद रहे।

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