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वोकल फाॅर लोकल का सबसे बड़ा रोल माॅडल है पतंजलि योगपीठ- स्वामी रामदेव

विक्की सैनी

समारोह पूर्वक मनाया गया पतंजलि योगपीठ का 26वाँ स्थापना दिवस मनाया
हरिद्वार, 5 जनवरी। पतंजलि योगपीठ का 26वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए योगगुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि 5 जनवरी, 1995 को एक नन्हा सा बीज रोपित किया गया था जो आज एक विराट् वट वृक्ष का रूप ले चुका है। इसकी विभिन्न शाखाओं के रूप में विभिन्न परिसर समाज व राष्ट्र को लाभान्वित कर रहे हैं। सेवा, संघर्ष व साध्ना के 26 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। पतंजलि योगपीठ फेज-2 में आयोजित कार्यक्रम स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि 26 वर्ष पूर्व पंचपुरी हरिद्वार में शून्य से पतंजलि योगपीठ की यात्रा प्रारंभ हुई थी। इन 26 वर्षों में योग, आयुर्वेद और स्वदेशी एक जनांदोलन बना है। पतंजलि योगपीठ आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी प्रेरणा बन चुका है। वोकल फाॅर लोकल का सबसे बड़ा कोई रोल माॅडल व आइकाॅन है, तो वह पतंजलि योगपीठ ही है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद व स्वदेशी की क्रांति के बाद भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से अब शिक्षा क्रांति का नया शंखनाद पतंजलि की ओर से होगा। 1835 में मैकाले ने इण्डियन एजुकेशन एक्ट बनाकर भारत आध्यात्म आधरित शिक्षा पद्धति को ध्वस्त किया था। भारतीय शिक्षा बोर्ड उसी आध्यात्मिक शिक्षा को पुनस्र्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध है। पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज, आचार्यकुलम्, वैदिक गुरुकुलम्, वैदिक कन्या गुरुकुलम् तथा पतंजलि गुरुकुलम् आध्यात्मिक भारत की नींव रख रहे हैं। अब इस विदेशी शिक्षा, चिकित्सा, अपसंस्कृति तथा विदेशी उपनिवेशवाद से भारत को मुक्ति दिलाकर, आर्थिक व सांस्कृतिक गुलामी से भारत को आजादी दिलाने की दिशा में और प्रखरता के आगे बढ़ेंगे, यह हमारा संकल्प है। पतंजलि का अभी यौवनकाल चल रहा है, अभी कई नवीन कीर्तिमान बनाने हैं। भारत को परम वैभवशाली बनाने के साथ-साथ एक आध्यात्मिक भारत तथा आध्यात्मिक विश्व बनाने के लिए हम संकल्पित हैं।
आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि पतंजलि ने अपने 26 वर्षों के लम्बे कालखण्ड में अनेक आयाम स्थापित किए हैं। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अन्तर्गत अल्प समय में नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए जा चुके हैं। अगले चरण में आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर औषधि की मान्यता दिलाना है। उन्होने कहा कि उनके 50वें जन्मदिवस में अभी 19 माह शेष हैं। हमारा संकल्प है कि आगामी 19 माह में हम शीर्ष विश्वस्तरीय रिसर्च पेपर्स में लगभग 1100 शोधपत्र प्रकाशित कर नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे। शास्त्रों के लेखन में भी पतंजलि बड़ा कार्य कर रहा है। लगभग 5 लाख श्लोक के संग्रह एवं प्रकाशन का कार्य शीघ्र ही संपन्न किया जाएगा। संस्कृत में 3 लाख 60 हजार पौधों के नाम की सूची अगले 6 माह में प्रकाशित कराने का लक्ष्य है। संहिताओं और निघण्टुओं के लेखन का कार्य भी अविरल प्रवाह से सम्पादित किया जा रहा है। हाल ही में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के शोध आधरित कोरोनिल वटी ने कोरोनाकाल में लोगों को नया जीवन प्रदान किया। अनेक शोध कार्य तथा अखण्ड पुरुषार्थ के बल पर हमारे वैज्ञानिकों की टीम जल्द ही पीड़ानिल गोल्ड, पीड़ानिल स्प्रे, लीवोग्रीट तथा लीवामृत एडवांस आदि अनेक प्रामाणिक औषधियाँ लेकर आ रहा है। जिससे रोगी मानवता को नवजीवन मिलेगा तथा राष्ट्र लाभान्वित होगा।
कार्यक्रम में साध्वी देवप्रिया, बहन ऋतम्भरा, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डा.महावीर, रजिस्ट्रार बहन प्रवीन पुनिया, स्वामी परमार्थदेव, अजय आर्य, कविराज मनोहर लाल आर्य, सेवानिवृत्त आई.ए.एस. एन.पी.सिंह, डा.अनुराग वाष्र्णेय, पतंजलि विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्राक विमल चन्द्र पाण्डे, मुख्य केन्द्रीय प्रभारी डा.जयदीप आर्य, राकेश मित्तल, बहन साधना, मौलाना काजमी, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज, आचार्यकुलम्, वैदिक गुरुकुलम्, वैदिक कन्या गुरुकुलम् तथा पतंजलि गुरुकुलम् के प्राध्यापकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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